गोपेश दशोरा
वक्त के साथ, जख्म भरा नहीं करते,
मरने वालों के साथ, मरा नहीं करते।
जिन्दगी गुजरी हो, जिनकी सूनेपन में,
वह लोग अन्धेरों से, डरा नहीं करते।
मुसीबतों से लड़ के, आगे बढ़ने वाले,
खड़े खड़े बस बात, करा नहीं करते।
खुद की गलती, मान लेते हैं खुद ही,
कभी गैर पे इल्जाम, धरा नहीं करते।
जिसे कर के, झुक जाए सर सब का,
ऐसा काम भूल कर, करा नहीं करते।
जो दिखते नहीं, पर दर्द देते रहते हैं,
ऐसे जख्मों को कभी, हरा नहीं करते।
उदयपुर, राजस्थान।
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