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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

कोलकाता में अशोक अंजुम को मिला "काव्य-वीणा सम्मान"

 

कोलकोता। गत दिवस भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता के भव्य सभागार में कवि श्री अशोक 'अंजुम' को उनके दोहा- संग्रह "प्रिया तुम्हारा गांव" के लिए अखिल भारतीय परिवार-मिलन संस्था द्वारा सन् 2020 के "काव्य वीणा सम्मान" से अलंकृत किया गया। सम्मान के अंतर्गत् ₹51000 /-(इक्यावन हज़ार रुपए) शॉल, स्मृति-चिह्न, अभिनंदन-पत्र, उत्तरीय, श्रीफल आदि सम्मान-स्वरूप प्रदान किए गए। इस अवसर पर 2021 के काव्य वीणा सम्मान से कवि श्री जयकुमार रुसवा को उनकी पुस्तक "मन की पीर" के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती शोभा चूड़ीवाल की सरस्वती वंदना से हुआ, तत्पश्चात् डॉ. राजश्री शुक्ल ने पुस्तक-चयन-प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए श्री अशोक अंजुम के दोहा वैशिष्ट्य को रेखांकित किया और उनके अनेक दोहे सुनाए। संस्था के सचिव श्री संदीप अग्रवाल ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। श्री ईश्वरी प्रसाद टांटिया ने प्रशस्ति-पत्र वाचन करके उसे श्री अंजुम को भेंट किया। संस्था के संस्थापक श्री अरुण चूड़ीवाल ने आकर्षक स्मृति-चिह्न भेंट कर अशोक अंजुम को सम्मानित किया। इस अवसर पर कवि श्री अशोक अंजुम ने अपने लगभग आधा घंटे के वक्तव्य और काव्य-पाठ द्वारा उपस्थित विद्वत जनों के समक्ष प्रमाणित कर दिया कि वे इस काव्य-वीणा सम्मान के सर्वथा योग्य हैं ‌। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्वान साहित्यकार डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कवि अशोक 'अंजुम' की रचनाधर्मिता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। संचालन वरिष्ठ कवि, नाटककार श्री राजेंद्र कानूनगो ने किया। इस अवसर पर कवि श्री अंजुम की पत्नी कवयित्री श्रीमती भारती शर्मा को भी उत्तरीय पहनाकर सम्मानित किया गया। डॉ. ऋषिकेश राय, श्री विजय झुनझुनवाला, श्री रावेल पुष्प, कवि रवि प्रताप सिंह, श्रीमती आशा राज कानूनगो, श्री विजय अत्रि, अंजू गुप्ता, विनीता मनोत, अमित मूंधड़ा, श्री योगेन्द्र गुप्ता, श्री बंशीधर शर्मा, अरुण मल्लावत, महावीर बजाज, सुरेश चौधरी आदि बड़ी संख्या में साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर अर्थात् एक दिन पहले श्री अशोक 'अंजुम' के सम्मान में श्री अरुण चूड़ीवाल ने अपने बंगले के विशाल, खूबसूरत प्रांगण में काव्य-संध्या का आयोजन भी किया जिसमें लगभग एक घंटा श्री अंजुम ने अपने गीत, ग़ज़ल, दोहे और हास्य-व्यंग्य कविताओं का पाठ करके उपस्थितजनों को आह्लादित किया।

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