सदा सत्य ही कहती बिटिया।
लक्ष्मी बाई लगती बिटिया।।
शब्दों के तीरों से कैसे,
रिपु को आहत करती बिटिया।।
करे सदा बेवाक टिप्पणी,
नहीं किसी से डरती बिटिया।।
सदाचार के साथ खड़ी है,
अत्याचार कुचलती बिटिया।।
एक अकेली सब पर भारी,
कोई जुल्म न सहती बिटिया।।
अपनी आँखें कान खोलकर,
सँभल-सँभल पग धरती बिटिया।।
नीता अवस्थी (कानपुर)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें