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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

दिल का हर एतिबार झूठा है।

 ग़ज़ल

दिल का हर एतिबार झूठा है।
बेवफ़ा तेरा प्यार झूठा है।
वो शराफत से पेश आएगा।
मन का ये भी विचार झूठा है।
बात उसकी न सच समझना तुम।
दोस्त वो बार- बार झूठा है।
साजिशें पाल कर रखीं दिल में।
प्यार का ये खुमार झूठा है।
आँसुओं को छिपा रखा भीतर।
मुस्कुराता वो यार झूठा है।
लौटकर आएगा नहीं वो फिर।
तेरा भी इंतिजार झूठा है।
दर्द कश्यप बहुत दिया उसने।
कौन कहता है खार झूठा है।
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रचनाकार
प्रदीप कश्यप

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