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शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

कोलिहा

सिधवा ह, पछुवच रहिगे,
चलउक के मान होगे,
जंगल म अंधरउटी छइस,
त...कोलिहा ह सियान होगे
कोन, काय करही जी..?
जब घुघवा ओकर मितान होगे

आनेच मन हे, मईलाहा-मतलाहा
हमन तो सुघ्घर,फ़रिहर
अइसन...कतका गोहराबे ?
दूसर के दोष देखइ म,
अपनो ह बीरान होगे

जिनगी मिले हे चरदिनिया,
त हांस-गोठिया,
रहि परेम ले अऊ मया बगरा,
फुसकारथस अब्बड़,
कब ले बिकहर जबान होगे ?

रहिथन मिल-जुर के
अऊ रहिबो तको,
नइ करन आन-अपन,
जात- धरम अऊ भगवान के,
तैं कतको चिचिया न जी...
तोर भड़कउनी बर,
हमर भैरा..कान होगे  ||

                 टीका देशमुख
                   सहायक शिक्षक
                 तेंदुभाठा (बकरकट्टा)
                 जिला -राजनांदगाँव

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