सिधवा ह, पछुवच रहिगे,
चलउक के मान होगे,
जंगल म अंधरउटी छइस,
त...कोलिहा ह सियान होगे
कोन, काय करही जी..?
जब घुघवा ओकर मितान होगे
आनेच मन हे, मईलाहा-मतलाहा
हमन तो सुघ्घर,फ़रिहर
अइसन...कतका गोहराबे ?
दूसर के दोष देखइ म,
अपनो ह बीरान होगे
जिनगी मिले हे चरदिनिया,
त हांस-गोठिया,
रहि परेम ले अऊ मया बगरा,
फुसकारथस अब्बड़,
कब ले बिकहर जबान होगे ?
रहिथन मिल-जुर के
अऊ रहिबो तको,
नइ करन आन-अपन,
जात- धरम अऊ भगवान के,
तैं कतको चिचिया न जी...
तोर भड़कउनी बर,
हमर भैरा..कान होगे ||
टीका देशमुख
सहायक शिक्षक
तेंदुभाठा (बकरकट्टा)
जिला -राजनांदगाँव
शनिवार, 23 अक्टूबर 2021
कोलिहा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें