डॉ:कामतानाथ सिंह ' कान्हेय '
लो सुनो नेपथ्य से
आती हुई आवाज़,
अभी जीवित हैं
सभी सम्भावनायेंं।
कुछ हवाओं ने कहा
कुछ सर्जनाओं नेए
मुँह छुपा कर पीठ फेरी
वर्जनाओं ने,
गर्जनाओं ने दहे
यों पीर के अन्दाज़,
अभी जीवित हैं
सभी संभावनाएं!
फिर उमंगें खोलतीं.सी
राज़ अपनों के,
कामनायें काटती हैं
कान सपनों केरू
भावनाओं के पखेरू के
नये परवाज़,
अभी जीवित हैं
सभी सम्भावनायेंं।
प्रतिक्रियाएं हो रहीं
मौसमी चालों पर,
चहलकदमी कर रहीं
यादें रुमालों पर ,
लालिमा लिखती
कपोलों पर नये अलफाज़,
अभी जीवित हैं
सभी सम्भावनायें!
आती हुई आवाज़,
अभी जीवित हैं
सभी सम्भावनायेंं।
कुछ हवाओं ने कहा
कुछ सर्जनाओं नेए
मुँह छुपा कर पीठ फेरी
वर्जनाओं ने,
गर्जनाओं ने दहे
यों पीर के अन्दाज़,
अभी जीवित हैं
सभी संभावनाएं!
फिर उमंगें खोलतीं.सी
राज़ अपनों के,
कामनायें काटती हैं
कान सपनों केरू
भावनाओं के पखेरू के
नये परवाज़,
अभी जीवित हैं
सभी सम्भावनायेंं।
प्रतिक्रियाएं हो रहीं
मौसमी चालों पर,
चहलकदमी कर रहीं
यादें रुमालों पर ,
लालिमा लिखती
कपोलों पर नये अलफाज़,
अभी जीवित हैं
सभी सम्भावनायें!
मो 9984210747
सुमन.कुन्ज, बेवल
सुजवरिया.229307
रायबरेली, भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें