प्रदीप कश्यप
इशारों इशारों की जो बात है।
वही तो मोहब्बत की शुरूआत है।
ग़मों का समंदर ये जिससे बना।
मेरे आँसुओं की वो बरसात है।
मिला जिंदगी का जो मकसद मुझे।
तेरे प्यार की वो करामात है।
समझ जाओगे दिल की बातें भी तुम।
अभी तो ये पहली मुलाकात है।
नहीं आए इस बार भी कह के वो।
जुदाई भरी फिर कटी रात है।
चलो मुस्कुरा के तो देखा मुझे।
बड़ी आपकी ये इनायात है।
उसे मानकर जीत कश्यप चला।
हुई प्यार में जो मेरी मात है।
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