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गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

रामकिशन शर्मा की रचनाएं

आख़िर उसने भी पीठ पे वार कर दिया
वर्षों के विश्वास को तार तार कर दिया।
नहीं रहा कोई रिश्ता एतबार के काबिल
इस डर ने अब तो खबरदार कर दिया।
खून पसीना बहाके बनाया था आशियाँ
औलाद ने उसी घर से बाहर कर दिया ।
शराफ़त को लोगों ने समझा कमजोरी
छोड़ देने को मुझको मज़बूर कर दिया।
समझता था उनको खैर ख़्वाह अपना
सचाई को पर वक्त ने उजागर कर दिया।
दुनिया बहुत ही बेरहम खुदगर्ज़ है यारो
लोगों के कारनामों ने होशियार कर दिया ।

 

बात यूँ तो सामान्य सी ही की थी उसने
अंदाज़ .ऐ. बयाँ ने दमदार उसे कर दिया।
जुबाँ कैंची की भाँती चलती ही थी उसकी
वक़्त औश्हालात ने और धारदार कर दिया।
अड़ियल था जाता था अड़ असूलों के लिए
सूरत. ऐ. हालत ने पर लचकदार कर दिया।
जाती रही रिश्ते की बची खुची थी जो शर्म
लड़ाई को जबसे उसने आर पार कर दिया ।
सच के हक़ में बोला पर्दा झूठ का जो खोला
साफगोई ने कइयों का गुनहगार कर दिया ।
जिंदगी तो चेताती रही मौत है मंजिल तेरी
अहंकारी इंसां ने लेकिन दरकिनार कर दिया।
मौत सिरहाने जब आ खड़ी तब सकपकाया  
क्यों यूँ खूबसूरत जिंदगी को बेकार कर दिया

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