आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

हिस्से का दूध

उनींदी आँखों को मलती हुई वह अपने पति के करीब आकर बैठ गई। वह दीवार का सहारा लिए बीड़ी के कश ले रहा था।

"सो गया मुन्ना...?"
“जी! लो दूध पी लो।” सिल्वर का पुराना गिलास उसने बढ़ाया।
‘“नहीं, मुन्ना के लिए रख दो। उठेगा तो...।" वह गिलास को माप रहा था।
“मैं उसे अपना दूध पिला दूँगी।" वह आश्वस्त थी।
"पगली, बीड़ी के ऊपर चाय-दूध नहीं पीते। तू पी ले।" उसने बहाना बनाकर दूध को उसके और करीब कर दिया।
तभी-
बाहर से हवा के साथ एक स्वर उसके कानों से टकराया। उसकी आँखें कुर्ते की खाली जेब में घुस गईं।
"सुनो, जरा चाय रख देना।"
पत्नी से कहते हुए उसका गला बैठ गया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें