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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

मदद

रेखा


"अरे मैंम क्या आप मेरा ये फार्म भर देंगी।"शगुन ने पीछे मुड़कर देखा तो पीछे एक लगभग बीस वर्षीय युवती खडी थी।

"क्या बात है? तुम खुद क्यों नहीं भर लेती।"
" जी मुझे फार्म भरना नहीं आता,पढी लिखी नहीं हूँ ना।"
शगुन ने ऊपर से नीचे तक युवती को ध्यान से देखा। वह युवती अपने पहनावे से बिल्कुल भी अनपढ़ नहीं लग रही थी। युवती ने शगुन की आँखो में प्रश्न देख लिया था।
"जी मैं घर घर जाकर खाना बनाने का काम करती हूँ,परसों मेरा एक जानकार देस जा रहा है सोच रही थी कि घर उसके हाथ कुछ पैसे भिजवा दूँ बस इसलिये........।"
"लाओ दो फार्म भर देती हूँ।"
अभी शगुन ने फार्म पकडा था के एक बुजुर्ग महिला ने शगुन से पूछा," बिटिया आपके पास फोन है मुझे बेटे से बात करनी है कहते हुए उसने एक कागज की परची शगुन की तरफ बढाई। उस पर शायद उसके बेटे का फोन नंबर लिखा था। शगुन ने ना में सिर हिलाया और बताया कि वो अपना फोन घर भूल आई है। तभी शगुन को याद आया के उसके साथ खडी़ युवती के पास फोन देखा था ।
"एक मिनट अम्मा जी...."
"आपके पास फोन है ना बेटा.....जरा अम्मा जी की बात करा दो उनके बेटे से।"
"वो मैंड़म जी हमारे आदमी ने मना किया किसी अंजान को अपना फोन देने को।"
"अरे बेटे वो आपका फोन लेकर भाग थोडे़ जायेगी।आप नंबर मिला दीजिये...वो दो मिनट बात कर लेंगी।"
"ना मैंडम जी ....किसी अंजान...."
"हम दोनो एक दूसरे को जानते हैं ?"
" नहीं"
"मैं आपका काम कर रही हूँ ना।"
"पर मैंड़म जी"
"पर क्या...बेटा अगर सब आपकी तरह सोचने लगें तो कोई भी किसी की मदद नहीं करेगा। आप की मदद भी नहीं करेगा कोई। तो बेटा अगर हम किसी से मदद चाहते हैं तो पहले मदद करना सीखें।अब अगर मैं ये फार्म ना भरूँ तो आपको अच्छा नहीं लगेगा,है ना ?"
"लाईये अम्मा जी नंबर दीजिये।"
अम्मा जी ने दो मिनट बात की और फिर आशीष देती वहाँ से चली गई। फार्म भी भरा जा चुका था। शगुन चलने को हुई तो पीछे से आवाज आई "थैंक्यू मैंड़म जी, फार्म भरने के लिये और.....मदद और वो अम्मा जी कितने आशीष दे कर गई। मुझे बहुत अच्छा लगा।"
उसकी बात सुन शगुन मुसुकुराई।
युवती भी मुसकुराई। शगुन ने महसूस किया कि
बैंक परिसर में अच्छाई मुसकुरा रही थी।

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