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रविवार, 10 जनवरी 2021

प्यासी धरती पर

 त्रिलोक महावर

प्यासी धरती पर

गिरती पसीने की बूँदें

पूछती हैं साँवली लड़की से

नदी का अता-पता


हैरान लड़की लिखना चाहती है

रिपोर्ट गुमशुदा नदी की

जो बहती थी

पिछले साल तक


लड़की परेशान है

पानी के बग़ैर

सनेगा कैसे मकई का आटा

देगची में कैसे पकेगी दाल

चावल पड़े हैं

बग़ैर धुले हुए

दादी ने अभी तक नहीं लिया है

चरणामृत

माँ ने दिया नहीं अभी तक

अर्घ्य सूर्य को

और तुलसी के बिरवे को पानी

श्यामा गाय प्यासी है

तीन दिन से नहीं लिपि है झोंपड़ी


सोचते-सोचते

अभी से सयानी हो गई

ग्यारह साल की लड़की ।

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