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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

डॉ.ऋतु त्यागी की कविताएं

डा.ऋतु त्यागी

मछलियाँ 

मछलियाँ 
तैर रहीं हैं नीले जल में 
एक आवाज़ चीरती है 
नदी का कलेजा 
नदी के किनारे की फिसलन भरी जगह से 
कुछ आँसू अभी कूदे थे 
मछलियाँ उनकी तलाश में है

क्योंकि वह जानती हैं उनकी क़ीमत।


उस दिन

उसके होठों पर अचानक उमड़ी हँसी
किसी गेंद की तरह उछली
और उसके गालों के गड्ढों में फँस गयी 
तभी उसके चेहरे के सारे साँवले तिल 
तारों की तरह टिमटिमाने लगे थे।  
उसके माथे पर अंकित तमाम रेखाएँ  
हँसी के कलकल करते स्वर को सुनने

थोड़ा आगे की ओर झुक आयी थी।
उस दिन सुंदरता के सारे पारंपरिक उपमान  
एक वार्ता में व्यस्त थे।  

ये वक़्त 
ये वक़्त उचित नहीं है कि निकाले जाएँ 
इतिहास के गर्भ से अजन्मे शिशु 
उनका रूदन शांति का पक्षकार कभी नहीं होता।

ये नपुंसक व्यवस्था ख़ास के पक्ष में 
हमेशा साधारण को करती है खारिज

हो सकता है कि एक दिन पूरा राष्ट्र इस बहस में शामिल हो
कि जोड़ने के लिए पुल ही ठीक थे  
खाइयों के लिए उन्होंने लोकतंत्र क्यों चुना था ?

पर उचित होगा कि वर्तमान के शिलालेखों पर
बच्चों की कलम की स्याही हो
शायद उनकी तटस्थ स्वीकृतियाँ अस्वीकृतियाँ 
व्यवस्था को उसके सटीक एंगल पर लाकर खड़ा कर दें।

और हमें हमेशा यह याद रखना होगा  
कि भ्रम की बुनियाद में बैठा विश्वास लोकतंत्र का सहोदर भी है।
 

घिसटता हुआ भूगोल

उसके कंधों पर  
लदी थी परंपराएं 
और  
सिर पर टिकी थी सभ्यताएं

वह इतिहास की सड़क पर  
घिसटता हुआ भूगोल था।


नाम- डा.ऋतु त्यागी
जन्म-1 फरवरी
शिक्षा-बी.एस.सी,एम.ए(हिन्दी,इतिहास),
नेट(हिन्दी,इतिहास),पी.एच.डी
सम्प्रति-पी.जी.टी हिंदी केंद्रीय विद्यालय सिख लाईंस मेरठ
रचनाएँ-कुछ पत्रिकाओं में कविताएँ तथा कहानियाँ प्रकाशित
पुस्तक- कुछ लापता ख़्वाबों की वापसी, समय की धुन पर(काव्य संग्रह)
पता-45,ग्रेटर गंगा, गंगानगर, मेरठ
मो.9411904088 मेल : ritu.tyagi108@gmail.com


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