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बुधवार, 20 अगस्त 2025

लुकलुकी " फोटू छपवाय के ......

रोशन साहू 'मोखला'                        

     रोटी,कपड़ा अउ मकान हा मनखे के मूल जरूरत आय फेर मनखेपन के सुग्घर मान बर स्वास्थ्य,शिक्षा,सुरक्षा घलो मिंझरे हवय। अउ संगे-संग मनोरंजन घलो। अब के समे मा ये मनोरंजन हा हमर जिनगी मा अइसे समागे हावय जइसे रिश्वतखोर मन के सगुरिया रूपी जेब मा खुरचन पानी अइसे समा जाथे कि कतकोन नदिया नरवा मन उलेन्डा पूरा मारत खुसर जथे कि ई.डी,सी.बी.आई,जइसन जांच एजेंसी मन के हाल हा अर्जुन कस हो जाथे जेन हा लड़ई-भिड़ई नइ करँव काहत अपन हथियार डार देय रिहिस। फेर घूसखोरी के लहरा ले घर परिवार लोग लईका बर आनी-बानी के जिनिस आवत रहिथे। जेकर ले घर वाली के मुस्की मुस्कान अइसे जनाथे जइसे माधुरी दीक्षित प्रियंका चोपड़ा हा लोटा भर पानी मढ़ा के सुवागत करत हें।अईसन सुख ल अध्यात्मवादी मन क्षणिक सुख कहिथें। परम सुख तो वो आय जेकर ले इहलोक अउ परलोक दूनों सुधर जाथे। इहि बात के उदिम मा लगथे फोटो खिंचवई के नवा संस्कार जनम धरे होही। छट्ठी-बरही,बर-बिहाव होय चाहे गोष्ठी संगोष्ठी। कोन्हो भी कार्यक्रम मा फोटू खिंचवाके सोशल मीडिया मा डारे ले अलौकिक सुख जनाथे।
     आस्था,संस्कार,सत्संग अउ आने-आने चैनल मा अवइया बड़े-बड़े मुनि महात्मा मन ला ये विषय ला अपन सत्संग मा जरूर जघा देना चाही ? फेर अइसे लगथे वहू मन इही परम सुख ला भोगत फोटू खिंचवऊ फोटू छपवउ संस्कृति सागर मा उबुक-चुबुक होवत हें। फेर आस लगे रहिथे कि कभू फोटू खिंचवउ के विषय म ग्यान अमरित मिल पातिस त हमर जईसन नान्हे मति मन ला पराज्ञान लब्ध होय ले चौरासी लाख योनि के चक्कर ले मुक्ति थोरिक सरल हो पातिस।काबर येकर वोकर रेख ला छोट करे के उदिम मा हरि भजन तो अइसे नंदागे हे जइसे " राजनीति मा परमारथ भाव अउ जन सेवा। कतको परयास करव "ढूंढते रह जाओगे।"
गोसाई तुलसीदास जी लिखिन-
बारि मथें घृत होइ बरु, सिकता ते बरु तेल।
बिनु हरि भजन न भव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥
फेर फोटू खिंचाऊ सोशल मीडिया डारू मनखे मन के एकेच सिद्धांत हावय-
सबो के बीच आय बर, जहू- तहू ल ढकेल।
फोटू देखत मगन हिय,फेसबुक ट्विटर मेल।।
     सामूहिक फोटू खिंचवाय के बेरा अपन ले जादा गुनी अनुभवी मनखे ला धकियावत तिरियावत बीचों-बीच जघा बनाय बर पुरखन ले मिले संस्कार,यम,नियम,संयम ला छर्री-दर्री कर पाना सबो मनखे के वश मा कहाँ हे? ये उदिम ला जियत मनखे कभू नइ कर सकय। खुद कतको फोसवा रहँय फेर खुद ला सबले बड़े 'माननीय' मनई बड़ जबर 'विल पावर' इच्छाशक्ति के पहिचान आय। खुद कतेक पानी मा हावन,खुद जतेक जानबो कोई दूसर मनखे नइ जान सकँय,भीतरौंधी बइठे आत्मा सदा जनवात रहिथे रे बाबू! काबर मटमटावत हस? लाज बीज नइ लागे का रे तोला? बड़े-छोटे के खयाल हवय कि नइहे रे तोला? फेर अईसन भाव पैदा नइ होवन देना,कोन्हो होई गे त ओकर टोंटा ला मसक देना येहा सबो मनखे के वश मा कहाँ होथे? फोटू खिंचवा के अखबार मा छपवाय के लुकलुकी के समानता नवा बहुरिया के शुरुआती प्रयास ले कभू कम नइ हो सकय,जे घेरी-घाँव अपन सास-ससुर के पूछ-परख बर चाय बनाव का मम्मी ? सब्जी अउ लाँव का पापा जी? प्याज निमऊ ठण्डा पानी लागही का पापा जी? समय मा टिफ़िन ले लेबे जी? काहत अपन गोसईया ला काम मा जावत बेरा घेरी-बेरी टाटा बाय-बाय करत रहिथे।''दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे" फिलिम कस चलत दृश्य ला घर भर के सदस्य मन देख-देख लजावत रहिथें। दाई-ददा मन मने-मन सोंचथे राम जाने! येकर आय ले पहिली हमर बेटा सदा भूख-दुख मरत रिहिस होही का भगवान ? अईसन किसम के मनखे मन हा लोगन के तारीफ पाय बर अतेक पुचपूचावत रहिथे जइसे नारद मुनि हा बेंदरा मुँह धरे विश्व मोहिनी संग बिहाव करे बर आघू-पाछू मटमटावत रिहिन। भविष्य मा कोनो किसम के पुरुस्कार,इनाम,सनमान, चुनाव टिकिट के जुगाड़ बर अपन प्रोफाइल के वजन बढ़ाय बर मनखे पांच रूपिया पाकिट म मिलईया हल्के-फुल्के ले हल्का हो जाथें। राम जाने!
फोटू छपवऊ मनखे मन अउ एक ठन बात ल सोच-सोच के सण्डेवा काड़ी कस दुबरावत सुखावत रहिथंय कि मरे के बाद उँकर मरे के समाचार हा कतेक ट्रेंड करही? ये समस्या के समाधान बर ब्रम्हा जी ला अपन सिरजन के नियम मा अपडेशन जरूर करना चाही। मनखे के मरे के चार-छह घण्टा बाद कम से कम एक घण्टा 'टाइम आउट' के समे मिलना चाही, तेकर ले देख सकँय कि वोकर मरनी के समाचार सोशल मीडिया मा कतेक कोस के यात्रा करिस? उँकर जिनगी के महत्तम के बखान मा कोन काय लिखिन?
     कोन-कोन उन ला श्रद्धाजंलि देइन?दू चार बछर पुण्यतिथि मनाहीं का नइ मनाहीं? उँकर नांव मा चौंक, चौराहा,गली सड़क के नामकरण हो पाही के नहीं? यहू बात के अंदाजा मरघट मा बइठे लोगन के बातचीत ले हो जाही। काबर यहू संसो के कारन अईसन मनखे जियत-जियत मा राहेर काड़ी कस होत रहिथें? ये सब के समाधान इही अतिरिक्त 'टाइम आउट' के बेरा मा हो सकत हावय। मरईया मनखे खुद अपन आँखी ले लोगन के भाव ला देखत अपन आत्मा ला शांत कर सकत हें। मरघट्टी मा जुरियाय सकलाय मनखे मन ला आखरी राम रमुउवा करत अउ अपन जिनगी के बारे में दू शब्द गोठियाय के मौका मिले ले अपन फोटूछपिया आदत के महत्तम माटी देवईया मन ला 'दू टप्पा' मा बतावत, भगवान ले मिले परमानेंट डेथ सर्टिफिकेट देखत, सुख चैन पावत, अपन आँखी ला मूंद सकत हें। वोला मिले 'टाइम आउट' ले एक फायदा जरूर होही कि भटकत आत्मा बर गरुड़ पुरान करवाय साँकर दाहरा,राजिम, प्रयागराज,काशी जवई-अवई के खरचा अऊ समे बाँच जाही।
     फेर जेन मनखे के आत्मा ला जियत-जियत शांति नइ मिल पाय हवय त मरे बाद शांति मिल पाही ?अईसन सोचना दूर के कौड़ी कस जनाथे? जइसे ये बियंग लेख ला छपवाय के लुकलुकी मा मेल करई ...?
रोशन साहू 'मोखला'(राजनांदगांव)
7999840942

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