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रविवार, 1 दिसंबर 2024

माटी दीया संवार

        
माटी ले तन,माटी ले धन,माटी ले उजियार,माटी दीया संवार।
बाती बरथे,तेल सिराथे,माटी महिमा अपार, देये दियन अधार।।
पानी ले सुग्घर दीया सिजोये,घीव तेल बने बाती भिंजोये।
रिगबिग-सिगबिग,जुगुर-जागर, देवय सुरुज ल उजियार।।

सबो मनखे माटी के दियना,होवय जी धरम करम सिंगार।
देहरी के दियना,देस खातिर देवय,उँहा सरहद म हुंकार।
बलिदानी जोत जगमग-जगमग,कभू न जेकर डोले पग।
किसन के बड़े भइआ हलधरिया,कहावय माटी के सिंगार।।

मनभावन गजब सुहावन लागय,धन तेरस पहिली तिहार।
सबो के तन मन फ़रियर हरियर,धन्वन्तरी  पूजन दिन वार।।
सब कहिथे धन के तीन गति,खुवार घलो जब नास मति।
शुभता बर सद् बर घर परिवार बर,सगरो जगत बर वार।।

मान बचाये बर कान्हा करिन,बलखरहा नरकासुर संहार। 
सोलह हजार गोपियन के लहुटिस,रूप चौदस सोला सिंगार।।
सुरता लमईया के रक्षा होथे,वईसन पाबे तंय जईसन बोबे।
ग्रह नक्षत्र एकजुवरहा बीरसप्त,का कहिबे टोर भांज शुकरार।।

चिन चिन्हारी मीत मितानी संग हांसत गावत परब तिहार।
लेय-लेय मा कतेक सुलगही,देव"वारी"के दीया ल बार ।।
लक्ष्मी मईया किरपा करही,अन-धन कोठी कुरिया भरही।
अनचिन्हार देहरी ल देवन ,बस एक ठिन"दीया" के उजियार ।।
           रोशन साहू 'मोखला' राजनांदगांव
                   7999840942


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