बोकरा भात, कुकरा अंडा करी, मछरी खाहा।
चुनई गीत, बड़ मजा के गाहा, झंडा उठाहा।।
सत्ता के डोरी, तुँहरे हाथ हावे, कोन्हो ला चाहा।
तुमन देव, तुमन भगवान, जेला सराहा।।
फोकट पाहा, जेला चहिहा खाहा,भंडारा आहा।
पाँच सलिहा, हवय ए परब, गंगा नोहाहा।।
भई-बहिनी, दई-ददा तुमन, वोट दे जाहा।
जीभ लालची, कीमत अनमोल, झन बेचाहा।।
मनखे तौरें, उछलत नदिया, दारु बोहाहा।
पाँचसलिहा, बिन पनही पाँव, धुर्रा सनाहा।।
अब्बड़ भाग, निरगुन देवता, रेंग के आहा।
घर मुँहटा, हाथ जोर के माँगे, मुचमुचाहा।।
बड़ हाँकही, फेंकही उत्ता धुर्रा, झन ठगाहा।
रुपया पैसा, बाँटे ओनहा मला,झन लोभाहा।।
भाला बंदूक, धरही हथियार,झन डराहा।
झन लुकाहा, वोट लुका के डाला, हक ला पाहा।।
-सीताराम पटेल 'सीतेश'
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