अंधियारी परे हे जिंनगी मा
त काए के देवारी
दीया बारव ज्ञान के
जिंदगी अंजोर हो जाही
खंँचवा परे हे पेट हा
त काए के देवारी
रोटी बांटव अपन भाग के
भुखमरी कमजोर हो जाही
तन बर कपड़ा नइहे
त काए के देवारी
कपड़ा - लत्ता बांटव
त नवा भोर हो जाही
आगाश के नीचे सोंए हें
त काए के देवारी
रहे बर घर हो जाए त
इंकरों गली खोर हो जाही
जिये बर काम नइहे
त काए के देवारी
मिल जाए रोजगार त
यहुमन सजोर हो जाहीं
सुक्खा हे तरिया मया के
त काए के देवारी
पिरीत के पानी भर जाए
त मया हिलोर हो जाही
गरीबी लीलगे प्रतिभा ला
त काए के देवारी
प्रतिभा ल सम्मान मिले त,
इंकरों डेहरी अंजोर हो जाही
दूजराम साहू *अनन्य*
भरदाकला (खैरागढ़ )
जिला:- खैरागढ़- छुईखदान- गंडई
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें