कहा बंदर ने बंदरिया से
चलेंगे आज बाजार
तुम रहना तैयार पहनकर
साड़ी या सलवार ।
खुश होकर बोली बंदरिया
आप हो कितने अच्छे
लेकिन नहीं बताया मुझको
साथ चलेंगे बच्चे ??
बंदर बोला साथ चलेंगे
अपने दोनों बच्चे
समझ नहीं पाती हो कुछ भी
अक्ल के तुम हो कच्चे !!
तैयारी में लगी बंदरिया
छोड के सारे काम
थके हुए बच्चों की कर
तैयारी की आराम
अता पता कुछ नहीं पति का
होने लग गई शाम
सात बजे घर आए मिस्टर
छिड़ गया इक संग्राम ।
पत्नी को बच्चों को
बंदर ने दी खूब मिठाई
कहा कि अब बस बंद करो
आपस की खूब लड़ाई
सबके लिए खरीद लाया हूं
सुंदर सुंदर कपड़े
नहीं पालता मैं बेमतलब
इधर उधर के लफड़े ।
हंसकर बोला बंदर इसमें
है मेरी क्या भूल
भूल गई हो आज का दिन
आज है अप्रैल फूल ।
मुकेश तिरपुडे
केयर आफ श्री बुधराम वर्मा ( गुरु जी)
प्रकाश कुंज सुभाष नगर कसारीडीह
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