क्या जानों तुम ऒ यारा ,
तुम बिन कैसे बीती है l
दिन तड़पता है आँखों में ,
रात अकेले रोती है l (1)
प्यार तुम्हारा पा लूँ मैं l
टूट रहें बेचैन के बादल,
आँसू कहाँ छुपा लूँ मैं ll (2)
हर दिवस में छाया बन,
मेरे पीछे लग जाते हो l
रात अकेली तन्हाई में ,
हमको बहुत सताते हो ll (3)
कल अतीत में खोया था,
आज भविष्य में खो गया हूँ l
कल आँसू बनकर उमड़ा था,
आज बादल बन बरस रहा हूँ ll (4)
हमनें अपने खाली हाथों से,
उम्मीदी आँसू पोछे है l
क्या मालूम राहों में " परिंदा ",
उम्मीद से बढ़कर धोखें है ll (5)
संग्रह -- परिंदा : (कविता - गज़ल ) संग्रह से l
रचनाकार --- मुकेश सिंह "परिंदा "
चुनार , मिर्ज़ापुर , ( यू. पी.)
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