उजालों में अंधेरा अब यहां होने नहीं देंगे ।
भले ही जान जाए कौम को रोने नहीं देंगे ।
सियाही खून जैसी है कलम तलवार से पैनी ए
किसी का ख़्वाब दहसत में यहां खोने नहीं देंगे ।
यहां सपने पनपते है अनेकों जाति मज़हब के ए
किसी को बीज वहशत का यहां बोने नहीं देंगे ।
मिटा देंगे जला देंगे पड़ौसी के दलालों को ए
उन्हें आतंक के औजार अब ढोने नहीं देंगे ।
सियासत की जमातों में बढ़ी है भूख सत्ता की ए
किसी का काम सच्चा झूठ से धोने नहीं देंगे ।
सपोलों पल रहे हैं कुछ हमारी आस्तीनों में ए
उन्हें '' हलध '' कभी भी चैन से सोने नहीं देंगे ।
9897346173
शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023
उजालों में अंधेरा अब यहां होने नहीं देंगे ।
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