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गुरुवार, 18 अगस्त 2022

सी.एच.बी. इंटरव्यू


वाढेकर रामेश्वर महादेव
 
राम विज्ञापन आया है, सहायक प्राध्यापक पद हेतु विकास ने कहा ।
पद पर्मानेंट है या काॅन्ट्रैक्ट बेसिस पर  राम  ने पूछा।

काॅन्ट्रैक्ट बेसिस पर विकास ने कहा।
"पर्मानेंट पद होता तो भी क्या  फायदा विकास, मेरी हैसियत नही पैसे भरने की।"
"मतलब, मैं नही समझा राम।"
धीरे,धीरे सब समझ आएगा,यह  शुरुआती दौर है तुम्हारा।
"राम , मैंने  एम . ए. ,एम .फिल.,सेट,पीएच-डी आदि   शिक्षा   हासिल   की  है  । मैं   गुणवत्ता   के   बलबुते  पर   सहायक  प्राध्यापक   जरूर बनूंगा, विकास ने कहा।"
विकास, हमारे  पहले  भी  बहुत से छात्र ने नेट, सेट, पीएच-डी आदि  तक  शिक्षा  प्राप्त की  हैं, लेकिन वे सहायक  प्राध्यापक  नही  बन  पाए।
आख़िर क्यों राम?
वही कारण,पैसा और  राजनीतिक  पहचान  न होना।
पैसा और राजनीतिक पहचान किस लिए? सहायक प्राध्यापक बनने के लिए।
मुझे कुछ भी समझ नही  आ रही  तुम्हारी बात।
जो है साफ़- साफ़ बता दो राम।
"तो फिर सुनो विकास,सहायक प्राध्यापक बनने के लिए  कम  से  कम  पचास लाख  लगते  है; इसी के साथ विधायक, सांसद  की   सिफ़ारिश भी। एक-दो  काॅलेज  में  गुणवत्ता  के   बलबुते पर   सहायक    प्राध्यापक   पद    का    चयन   होता   होगा,  बाकी   सब  जगह   पैसा   और  सिफ़ारिश  चलती है।"
राम, मैं कहाॅं से लाऊं इतना पैसा।
"विकास, मेरी भी परिस्थिति तुम्हारे जैसी है,  मैं भी  इतने पैसे  नही भर  सकता । मैं   घर  और खुद का अपना शरीर बेच  दूं तो  भी  मैं पचास लाख रुपए इकट्ठा नही  कर सकता । मां,  बाप को मुझ से बहुत उम्मीद है; लेकिन  मैं पूरी  नही कर पा रहा हूं, इसका  सबसे ज़्यादा दुःख है। मैं उन्हें सच बात बताकर और  दुःखी  नही  करना चाहता।"
मेरी  भी  वही  अवस्था है राम। किंतु  हम संघर्ष जारी  रखेंगे । बदलाव  जरूर  होगा, आने वाले समय  में।  वह  काॅन्ट्रैक्ट   बेसिस   के  पद  का फार्म कब भरना है राम?
फार्म भरने की अंतिम  तारीख  क्या है ?
दो दिन  बाकी  है, लेकिन हम  जल्द भर डालेंगे राम।
कल  ही  फार्म  भर डालेंगे  विकास,लेकिन एक बात कहनी थी।
बताओ  राम।
तू मुझे नकारात्मक विचार का कहने की  संभावना है।
बता तो सही।
"सी.एच. बी.  इंटरव्यू  के  लिए  भी  सिफ़ारिश लगती है, यह बात  मेरे  सुनने  में आयी है, सच क्या है मुझे भी मालूम नही।"
राम,  सी. एच. बी. इंटरव्यू  के लिए सिफ़ारिश, यह सच नही हो सकता।
अच्छा। तो फिर  हम  अच्छी  तरह  इंटरव्यू की तैयारी  करेंगे।  पर्मानेंट  पद  नही  तो  ना  सही लेकिन  सी. एच. बी.  पद  तो   हासिल   करेंगे  विकास।
फार्म भर दिया,देखते- देखते  इंटरव्यू  की तिथि आई ओर  एक  जगह  के लिए  पच्चीस   फार्म आए।
राम ,  इंटरव्यू   की   तिथि   तेरह   अगस्त   है। तुम्हारी  तैयारी  अच्छे से  हुई  है  न, विकास ने पूछा।
हां, हुई  है   देखते   है  क्या  होता  है  विकास?
इंटरव्यू  के  दिन  काॅलेज  में  जल्द  जाना होगा राम, विकास ने कहा।
कितने बजे विकास?
सुबह आठ बजे।
जी। जरूर।
विकास  काॅलेज   बढ़िया  है ।  हमें  पढ़ाने   का अवसर मिला तो हम अच्छी तरह  तैयारी करके छात्र को पढ़ाएंगे।
हां, वह तो करेंगे राम।
लेकिन विकास, दो जगह के लिए पच्चीस फार्म है।
हमारी  तैयारी  है ओर  पात्रता भी,तो  हमारा ही चयन होगा राम।  फार्म  चाहे  कितने भी क्यों न हो।
विचार करना छोड़ दो राम,अभी तेरा ही  नंबर है साक्षात्कार के लिए। बेस्ट ऑफ लक तुझे।
सेवक ने जोर से कहा,"राम शिरवाडकर  नामक छात्र है तो इंटरव्यू हाॅल में जाए।"
"राम  हाॅल के दरवाजे के पास गया  ओर कहा, अंदर आऊं सर।"
सर ने काजू,बादाम खाते -खाते  कहा-" आइए,
बैठिए। आपका शुभ नाम?"
राम शिरवाडकर।
आपकी शिक्षा?
एम.ए.,एम फिल,सेट,नेट, पीएच-डी  आदि  हूं।
अच्छा । आपको  कितने  साल  का  पढ़ाने  का अनुभव है?
कुछ भी नही सर।
आप में  कमियां है शायद।
सर, मुझे मेरी कमियां बताइए, मैं उस में  सुधार करूंगा।
"मुझ से  ज़बान  लड़ाता  है;  यही  कमियां   है तुम्हारी।"
मतलब, मैं नहीं समझा सर।
"तेरा इस काॅलेज में  और मेरे पहचान के किसी भी काॅलेज में चयन नही होने   दूंगा मैं । समझा तू। निकलो बाहर,हो गया तुम्हारा इंटरव्यू।"
जी सर।
राम बाहर  आया  ओर जोर से  सुकुन की सांस ली।
विकास ने पूछा,"राम कैसा रहा इंटरव्यू।"
अच्छा रहा,राम ने कहा।
विषय संबंधित क्या पुछा राम?
"बहुत कुछ पूछा, तैयारी की  थी  वह  सार्थक हुई।"
विकास तुझे भी बेस्ट ऑफ लक।
आखिरकार इंटरव्यू संपन्न हो गया। सब  अपने -अपने घर जाने लगे थे। कैंपस  में  चर्चा हो रही थी  कि  यह  जगह  पहले  से  मैनेज  थी।  इस नौकरी  के   लिए    कुछ   बच्चों   ने  विधायक,  सांसद, मंत्री  आदि  की   सिफ़ारिश  लायी  थी, उन्हीं  का  चयन  होना निश्चित है। यह   सुनकर राम और विकास  निराश हो गए।
राम!  तुम  ने  जो  कहा  था,  वही   सच  हुआ।
जाने दो विकास,हम  फिर से तैयारी करेंगे।
"तैयारी करके क्या फायदा राम,वे गुणवत्ता को कहा महत्व देते हैं, वे जाति- बिरादरी,सिफ़ारिश आदि  को   देखते   हैं।  उन्होंने    मेरे     रिसर्च   पेपर और सृजनात्मक  साहित्य को  देखा  तक  नही।  राम  हम  सहायक प्राध्यापक  कभी नही बन सकते।"
ऐसी  नकारात्मक  बातें  मत करो विकास,  हमें इन व्यवस्था को बदलना है।
"कैसे बदलेंगे व्यवस्था? शिक्षण   संस्था  या तो राजनेता   की   है   या   उनके   पहचान   वालों   की  । वे  ही लोकसभा, विधानसभा  के  सदस्य हैं, शिकायत करें तो किनके पास।"
विरोधी पक्ष के पास।
"सभी की मिली भगत है राम। शिक्षा को उन्होंने व्यवसाय  बना  रखा  हैं। उदाहरण  के  रूप  में जैसे     की    रयत   शिक्षण    संस्था,    पीपल  एजुकेशन  संस्था   आदि  जो   आदर्श    संस्था थी। उन  संस्था के उद्देश्य को,  विचार को खत्म किया वर्तमान व्यवस्था ने।"
विकास,हम जैसे सुशिक्षित  व्यक्ति  ने हार  मान ली तो कैसे होगा।
"सही है राम तेरा। हम भ्रष्ट व्यवस्था के ख़िलाफ अंत तक लड़ेंगे। हमारी जो अवस्था  हुई है वैसी  आनेवाली पीढ़ी की नही होने देंगे।"
राम, हम सरकार से मांग करेंगे कि सभी  राज्यों  की  शिक्षक  भर्ती  आयोग के  माध्यम   से   ही हो। जब तक  हमारी  मांग पुरी  नही  होती  तब तक  हम  नि:स्वार्थ   भाव   से  निरंतर।   लड़ते रहेंगे । जब आयोग  के   माध्यम  से   सहायक प्राध्यापक पद का  चयन  होगा, तब  शिक्षा  का  स्तर भी अच्छा    होगा।  ओर    महात्मा   फुले,   डाॅ.   बाबासाहेब    आंबेडकर  , राजर्षि    शाहू महाराज,  कर्मवीर    भाऊराव   पाटिल   आदि  महापुरुषों  का शिक्षण  विषयक अधूरा   सपना पूरा होगा....

संक्षिप्त परिचय
इमेल: rvadhekar@gmail.com
पता:  हिंदी विभाग,डाॅ.बाबासाहेब  आंबेडकर मराठवाडा  विश्वविद्यालय ,औरंगाबाद- महाराष्ट्र-431004)
लेखन: "चरित्रहीन"- कहानी - विवरण  पत्रिका, "दलाल"-  कहानी -  प्रखर   गॅंजू   पत्रिका   में प्रकाशित।) भाषा ,विवरण , शोध  दिशा, अक्षर वार्ता , गगनांचल,  युवा   हिन्दुस्तानी   ज़बान , साहित्य यात्रा,विचार वीथी आदि पत्रिकाओं  में लेख तथा संगोष्ठियों में प्रपत्र प्रस्तुति।
संप्रति: शोध कार्य में अध्ययनरत।
मो.9022561824
नाम-वाढेकर रामेश्वर महादेव
रचना- "सी.एच.बी.इंटरव्यू" शीर्षक कहानी स्वरचित, अप्रकाशित है।

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