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गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

आत्ममंथन

दिनेश्‍वर दयाल 
 
हमारी त्रुटियों ने मुझसे कहदी,
सुनो दिनेश्वर विचार करना l
संस्कार दायित्व कर्तव्य तुम्हारा,
धर्म समझकर ही निर्णय लेना ll
गलत नहीं तुम सही कहा हो,
जरा सा मंथन जरूर करना l
बच्चे तो बच्चे परिजन भी बदले,
गद्दारी किसने कि ध्यान रखना ll
ना वो तुम्हारा कहा ही मेरा,
समस्या गम्भीर समझ तू चलना l
उत्साह तुम्हारा आत्मज्योति जननी,
कृपा जगत जन कि माँग करना ll
ना कोई शत्रु मित्र ही जग में,
निष्ठां से अभिनय सदा तू करना l
युगो तपस्या फल प्राप्त कर तुम,
सच्चाई से ना मुँह मोड़ चलना ll
हे आत्मज्योति आदेश तुम्हारा,
निष्ठां से पालन हमें हैं करना l
तू मित्र मेरी हो युग सहायक,
काया तो नश्वर मिल नष्ट होना ll

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