दरपन कस मनखे
जब तक ले दरपन नई देखही,
मनखे के दिन नई बितत हे ।
कतको बुता रिही संगी,
एक बेर तो दरपन देखत हे ।
इही सेती दरपन ला घलो,
अपन ऊपर गुमान हे ।
मनखे ओला देखें बिना,
एक दिन नई बितात हे ।
फेर ओला कोन बताही,
मनखे ओला नई अपने आप ल देखत हे ।
अउ फोकटे फोकट दरपन हा,
अपन खुबसूरती के दुहाई देवत हे ।
जैसे दरपन तइसे मनखे,
दरपन आघु ले चकचक ले,
अउ पाछु ले खराब हे ।
तइसने मनखे मन घलो हे,
आघु ले तो बने दिखथे,
फेर अंतस भीतरी मा,
कतका जहर भराये हे,
ना कोनो जाने, ना कोनो पहिचाने ।
दरपन अउ मनखे में,
कई चिज समान हे ।
जइसे दरपन अगर टुट गे,
ता मनखे के काम नई आय ।
अउ मनखे के परान छुट गे,
ता दरपन के काम नई आय ।
भला मरे मनखे ला दरपन देखाथे का ?
दरपन के टुटे ले, आवाज बाहिर आथे ।
अउ मनखे के परान छुटे ले,
आंसु बाहिर आथे ।
इही सेती तो कहत हव,
दरपन कस मनखे ।।
✍️ मुकेश साहू
तेंदूभाठा, गंडई, राजनांदगांव
छत्तीसगढ़
शनिवार, 23 अक्तूबर 2021
दरपन कस मनखे
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