आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

मेरी नज़र की धूप तो पहुंची किसी तरह

बरसों की जमी बर्फ तो पिघली किसी तरह
मुमकिन नहीं था खोलना अपनी ज़बान का
नज़रों से दिल की बात तो पहुंची किसी तरह
आने से उनके रूह को राहत हुई नसीब
मुश्किल से दिल में जान तो आयी किसी तरह
मिलने का उनसे शौक़ सताता है रात दिन
गर्दिश हमारे सर से ये टलती किसी तरह
आती न याद उनके सहारों की आज भी
लग्जिश हमारी हमसे संभलती किसी तरह
लहरों का तकाज़ा है किनारे पे रहें हम
कश्ती हमारी पार उतरती किसी तरह
उनकी हयात हमने संवारी है हां मगर
अपनी ये ज़िंदगी भी संवरती किसी तरह
महेंद्र राठौर जांजगीर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें