शरद पूर्णिमा*
शरद पूर्णिमा पर बनती
अमृत सुधा से भरी खीर ।
सेवन करें जो दमा रोगी
दूर होय उसकी सब पीर ।।
स्वस्थ रहें हमारा शरीर
बनें हम सुधीर - अधीर ।
हम दे जग में यह संदेश
चंद्र जैसा रखें स्वच्छ शरीर ।।
बहें चहुंओर शीतल समीर
मिटे द्वेष भाव का क्षीर ।
सद्भाव से महक जाएं वतन
शरद चंद्र बरसाएं ऐसा नीर ।।
✍ गोपाल कौशल
नागदा जिला धार म.प्र.
9981467300
महर्षि वाल्मीकि जी
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
संस्कृत भाषा के आदि कवि
रामायण रचकर पाई जग छवि ।
कश्यप ऋषि-माता चर्षणी पुत्र
रत्नाकर से बने वाल्मीकि ऋषि।।
महर्षि नारद से मिला ऐसा ज्ञान
लूटपाट का मार्ग छोड़,जपा राम ।
समझाया जग को राम चरितार्थ
जीवन होय सफल जपे जो नाम ।।
बिरले ही मिलते है ऐसे तपस्वी
जिसे नमन करता गगन से रवि।
दीमक घर बन गया तप स्थल
इसी नाम से प्रसिद्ध हुए वाल्मीकि ।।
जपे राम नाम छोड़े प्रवृत्ति दानवी
बनें हम भी वाल्मीकि जैसे तपस्वी ।
राम नाम ही सत्य है जान लें सभी
करें यही शुभकामना गोपाल कवि ।।
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
रोज एक -नई कविता -1629
©कॉपीराइट ® 05-10-17
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें