-राजेश सिंह
ताप से बदन गर्म है
फिर एक एक कर
सब चले जाते हैं
सन्नाटे में सुनाई देती हैं
अपनी ही धड़कनें ठक ठक बजती हुई
महसूस होती है तलुओं की जलन
और साक्षात्कार होता है अपने ही शरीर से
इन्हीं क्षणों में अपने शरीर के सबसे नजदीक हूं
बचपन जवानी बुढ़ापा
एक एक करके
अतीत सिनेमा के दृश्य की तरह उभरता है
और पानी के बुलबुले की तरह गायब होता जाता है
शरीर बिखर रहा है
वापस पंचतत्वों में
सूक्ष्म कोशिकाओं के भीतर की हलचल
स्पष्ट महसूस हो रही है…..
संवेदना चरमता पर है
मक्खी के पंखों की आवाज
गूंज रही है कानों में
किसी का हाथ माथे को स्पर्श करता है
नहीं…. अभी भी ताप है
कानों में शब्द पड़ते हैं
अंतिम क्षणों में
मौन शब्द थरथराते है
"ओ मृत्यु
तुम्हारा स्वागत है
ले चलो मुझे
स्वर्ण रश्मियों जड़ित
सूर्य के रथ पर बैठकर
जिसके पहिये
मन से भी तेज चलते है
जिसका सिंहासन हीरों की
चमक वाला है
और जिस प्रकाश पुंज के आगे
आंखें देखने में असमर्थ हो जाती है
मुझे ले चलो
उस लोक
जहां से कोई
वापस नहीं आता है"
लेकिन
जरा ठहरो
लोभ ईष्र्या अंह को इस
तनसे मांज कर छुड़ा देने दो
ताकि मैं अभार हो जाऊं
ताकि ईश्वर का आलिंगन
निर्बाध कर सकूं…..
ऐसे ले चलो कि अब….
मुझे वापस नहीं आना है
फ्लैट-B-701,स्वाति फ्लोरेंस
निकट सोबो सेंटर, साउथ बोपल
अहमदाबाद -380058
सम्प्रति-इंडियन बैंक अहमदाबाद में कार्यरत
9833775798
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