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रविवार, 5 सितंबर 2021

बाबा (स्वामी) वंदन

अशोक 'अंजुम'


स्वामी जी 
जय स्वामी जी !
माथे तिलक , गले में माला 
पीत वस्त्र तन पर है डाला ,
कुछ वर्षों में बनकर उभरे 
कैसे अन्तर्यामी जी !?
स्वामी जी 
जय स्वामी जी !

नेता और अभिनेता चेले 
युग के सभी प्रणेता चेले 
मुच्छड़, दढ़ियल गुण्डे  चेले 
बड़े-बड़े मुस्टण्डे चेले 
चेलों की लम्बी कतार  हैं 
साथ चेलियाँ बेशुमार हैं 
होल्डाल हैं, पम्पलेट हैं 
सचमुच गुरुजी आप ग्रेट हैं 
प्रवचन करवाने को तरसें 
चेले नामी- नामी जी !
स्वामी जी 
जय स्वामी जी !

आप हँसें तो हँसें  भक्तजन 
आप हिलें तो हिलें भक्तजन 
आप उठें तो उठें भक्तजन 
आप चलें तो चलें भक्तजन 
प्रवचन देते उछल - उछलकर 
मटक मटककर, मचल मचलकर 
हँसते-गाते, अश्रु बहाते 
नये -नये  दृष्टान्त सुनाते 
आपकी 'ना' भक्तों की ना है 
'हाँ' पर भरते हामी जी !
स्वामी जी 
जय स्वामी जी !

है कुबेर का पास खज़ाना 
अन्दर 'हाँ-हाँ' बाहर 'ना-ना'
लगते हैं दरबार अनूठे 
आश्रम हैं गुलज़ार अनूठे 
पास आपके शब्द-जाल हैं 
अभिनय के अद्भुत कमाल हैं 
सुख-सुविधाओं का मेला है 
वैभव की रेलमपेला है 
है अरबों का माल-मसाला 
"माया" करे गुलामी जी !
स्वामी जी 
जय स्वामी जी !


अशोक 'अंजुम'
संपादक : अभिनव प्रयास (त्रैमासिक )
स्ट्रीट-2, चन्द्र विहार कॉलोनी ( नगला डालचंद )
क़्वारसी बाईपास, अलीगढ़-202002  ( उ.प्र.) 
मोब।  09258779744 

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