स्वामी जी
जय स्वामी जी !
माथे तिलक , गले में माला
पीत वस्त्र तन पर है डाला ,
कुछ वर्षों में बनकर उभरे
कैसे अन्तर्यामी जी !?
स्वामी जी
जय स्वामी जी !
नेता और अभिनेता चेले
युग के सभी प्रणेता चेले
मुच्छड़, दढ़ियल गुण्डे चेले
बड़े-बड़े मुस्टण्डे चेले
चेलों की लम्बी कतार हैं
साथ चेलियाँ बेशुमार हैं
होल्डाल हैं, पम्पलेट हैं
सचमुच गुरुजी आप ग्रेट हैं
प्रवचन करवाने को तरसें
चेले नामी- नामी जी !
स्वामी जी
जय स्वामी जी !
आप हँसें तो हँसें भक्तजन
आप हिलें तो हिलें भक्तजन
आप उठें तो उठें भक्तजन
आप चलें तो चलें भक्तजन
प्रवचन देते उछल - उछलकर
मटक मटककर, मचल मचलकर
हँसते-गाते, अश्रु बहाते
नये -नये दृष्टान्त सुनाते
आपकी 'ना' भक्तों की ना है
'हाँ' पर भरते हामी जी !
स्वामी जी
जय स्वामी जी !
है कुबेर का पास खज़ाना
अन्दर 'हाँ-हाँ' बाहर 'ना-ना'
लगते हैं दरबार अनूठे
आश्रम हैं गुलज़ार अनूठे
पास आपके शब्द-जाल हैं
अभिनय के अद्भुत कमाल हैं
सुख-सुविधाओं का मेला है
वैभव की रेलमपेला है
है अरबों का माल-मसाला
"माया" करे गुलामी जी !
स्वामी जी
जय स्वामी जी !
अशोक 'अंजुम'
संपादक : अभिनव प्रयास (त्रैमासिक )
स्ट्रीट-2, चन्द्र विहार कॉलोनी ( नगला डालचंद )
क़्वारसी बाईपास, अलीगढ़-202002 ( उ.प्र.)
मोब। 09258779744
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