बहुत लोग बारिश के आते हुए
रो लेते हैं आँखें बिछाते हुए
थकन इतनी है ज़िन्दगी से उसे
है मायूसी ज़िन्दा बताते हुए
बहुत चोट लगती है आवाज़ को
दिवारों में रस्ता बनाते हुए
मेरा दिल नहीं लग रहा जीने में
तेरा साथ झूठा निभाते हुए
मज़ा लेना ही पड़ता है जख़्म का
दवा शायरी को बनाते हुए
तेरी बद्दुआ का असर इतना है
मुझे डर है पौधा लगाते हुए
~ तान्या
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