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सोमवार, 27 सितंबर 2021

दरपन कस मनखे

जब तक ले दरपन नई देखही,

मनखे के दिन नई बितत हे ।

कतको बुता रिही संगी,

एक बेर तो दरपन देखत हे ।

इही सेती दरपन ला घलो, 

अपन ऊपर गुमान हे ।

मनखे ओला देखें बिना,

एक दिन नई बितात हे ।

फेर ओला कोन बताही,

मनखे ओला नई अपने आप ल देखत हे ।

अउ फोकटे फोकट दरपन हा,

अपन खुबसूरती के दुहाई देवत हे ।

जैसे दरपन तइसे मनखे,

दरपन आघु ले चकचक ले,

अउ पाछु ले खराब हे ।

तइसने मनखे मन घलो हे,

आघु ले तो बने दिखथे,

फेर अंतस भीतरी मा, 

कतका जहर भराये हे,

ना कोनो जाने, ना कोनो पहिचाने ।

दरपन अउ मनखे में,

कई चिज समान हे ।

जइसे दरपन अगर टुट गे, 

ता मनखे के काम नई आय ।

अउ मनखे के परान छुट गे,

ता दरपन के काम नई आय ।

भला मरे मनखे ला दरपन देखाथे का ?

दरपन के टुटे ले, आवाज बाहिर आथे ।

अउ मनखे के परान छुटे ले,

आंसु बाहिर आथे ।

इही सेती तो कहत हव,

दरपन कस मनखे ।।


✍️ मुकेश साहू

तेंदूभाठा, गंडई, राजनांदगांव 

       छत्तीसगढ़

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