न नागा न मुंडन,न ही जटाजूट
कृपाण,दाढ़ी,कंठा न धरे भभूत,
नदी स्नान,जोग पाठ,रटते नाम
पवित्र नही ये काम करे अकूत !
पवित्र होता वो जिसमें हो सत्य
विषयों से रिक्त,हो जो सदाचारी,
जड़ चेतन का हो परम विवेकी
पारखी, शीलवान हो व्यवहारी !
नही होता है कोई भी अपवित्र
न जाति, न वंश, न ही जन्म से,
सदा संतुष्ट रहें और स्वस्थ रहें
मुस्कुराते रहिये जी सद्कर्म से !
राजकुमार मसखरे
कृपाण,दाढ़ी,कंठा न धरे भभूत,
नदी स्नान,जोग पाठ,रटते नाम
पवित्र नही ये काम करे अकूत !
पवित्र होता वो जिसमें हो सत्य
विषयों से रिक्त,हो जो सदाचारी,
जड़ चेतन का हो परम विवेकी
पारखी, शीलवान हो व्यवहारी !
नही होता है कोई भी अपवित्र
न जाति, न वंश, न ही जन्म से,
सदा संतुष्ट रहें और स्वस्थ रहें
मुस्कुराते रहिये जी सद्कर्म से !
राजकुमार मसखरे
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