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बुधवार, 3 मार्च 2021

मुस्कुराते रहिये सद्कर्म से

न नागा न  मुंडन,न ही जटाजूट
कृपाण,दाढ़ी,कंठा न धरे भभूत,
नदी स्नान,जोग पाठ,रटते नाम 
पवित्र नही ये काम करे अकूत !
पवित्र होता वो जिसमें हो सत्य 
विषयों से रिक्त,हो जो सदाचारी,
जड़ चेतन का हो परम विवेकी
पारखी, शीलवान हो व्यवहारी !
नही होता है कोई  भी अपवित्र
न जाति, न वंश, न ही जन्म से,
सदा संतुष्ट  रहें और स्वस्थ रहें 
मुस्कुराते  रहिये जी सद्कर्म से !
राजकुमार मसखरे

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