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रविवार, 10 जनवरी 2021

एक हम हो जाएँ भाई

जो रूठे  हैं  उनको  चलो  मनाएँ भाई 

उलझी हैं गाँठें  उसको सुलझाएँ भाई ।

आपस में हम प्रीत बढ़ाएँ, थूकें गुस्सा 

बीती बातों को हम आज भुलाएँ भाई।

छोड़ें जाति-धरम के झगड़े, एक  बनें

मिलकर गीत एक  राग में गाएँ  भाई।

इस धरती की मिट्टी पावन, चंदन जैसी 

जय जयघोष करें हम शीश नवाएँ भाई।

राग-द्वेष को मन में कब तक पाल रखें हम

समय यही है,  एक साथ हो जाएँ भाई।

 -बलदाऊ राम साहू

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