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रविवार, 10 जनवरी 2021

कब तक अइसन लिखबो !

राजकुमार मसखरे 

कब तक ले लिखबो लिखरी चूक -चूक ले हे माला फुंदरी , 
बहुंटा भर-भर हे सुघ्घर चुरी मुड़ म पागा ऊपर हे खुमरी ! 
 चटनी बासी,आमा के अथान तिवरा, चेंच ,पटुवा के बखान , 
डंवर अउ गुरमटिया के धान मोर कुंदरा ल महल तँय जान ! 
 गुलगुल भजिया,चाँउर चीला हम आवन किसनहा पिला, 
काहत हँव मँय बात सहीं ला छकत,,हम खाथन माइपिला ! 
 सुत उठ के ये बड़े बिहनिया खेत जाथन जी धर के पनिया,
 धरती के हम हन जी गुनिया ठाड़ बेरा बासी लाथे पुनिया !
 नाँगर बइला हे हमर परान ग हम संगी धरती के भगवान ग,
छत्तीस गढ़िया सबले बढ़िया जय जवान , जय किसान ग ! 
 कब तक अइसन गीत ल गाबो हम कमाथन अउ मुँहू लमाबो , 
अपन कमइ के दाम कब पाबो उंकर मुँहू म तारा कब लगाबो !

 

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