~ प्रवीन राय
इश्क़ के जाल में आकर के बड़ी ग़लती की
दर्द उट्ठा जो ये सीने में तो मालूम हुआ
आपको दिल में बसाकर के बड़ी ग़लती की
आप कहती थीं कि दिल ही ये ख़ुदा का घर है
आपने दिल को दुखाकर के बड़ी ग़लती की
ऐसी निस्बत से तो बेहतर था कि तन्हा होते
आपसे दिल को लगाकर के बड़ी ग़लती की
अज़नबी बनके ही रहते तो यहाँ अच्छा था
आपको अपना बनाकर के बड़ी ग़लती की
ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
पिन- 233225
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