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मंगलवार, 4 नवंबर 2025

केशधारी सिख हिन्दू समाज के अभिन्न अंग

श्रीपाल शर्मा
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से ही अंग्रेज़ों को अहसास हो गया था कि भविष्य में अंग्रेजी शासन को किसी से खतरा हो सकता है तो वह है हिन्दू समाज. उनका यह भी सोचना था कि मुसलमानों से हमें कोई खतरा नहीं होगा. मुसलमान हिंदुस्तान में रहते हुए भी मक्का और मदीना को अपनी पुण्य भूमि मानते हैं, उनका विचार था कि मुस्लिम्स शासन काल में लाखो  हिन्दू मुसलमान बनाये गये, मजहब बदलने के बाद इनका राष्ट्र, परम्परा, रहन सहन, खानपान महापुरुष पैगम्बर आदि सब बदल गये, परन्तु हिन्दु का सम्बन्ध इस देश के साथ सुख आराम  के अतिरिक्त भी है, उनके लिए यह देश पुण्य-भूमि, मात्री भूमि भी है. हिन्दुओं के लिए देवी-देवता, धर्मग्रन्थ और इतिहास सबके सब इसी देश से सम्बंधित है. अपने देश के  लिये हिन्दु हर् प्रकर् कि   त्याग तपस्या करने के लिए हमसे तैयार रहेंगे  यदि  हमें इस देश में राज्य करना हो तो हिन्दुओं को आपस में लड़ाने के लिए फूट डालो  शासन करो की नीति अपनानी होगी, इसलिए हिन्दुओ को कमजोर करने के लिये जाति, बिरादरी व पंथ के आधार पर तोदड़‌फोड़ करने की नीति अपनाई सबसे पहले अंग्रेज़ों ने केशधारी सिखों
शेष हिन्दुओं से अलग करने के लिए केशधारी सिखों की जनगणना में गणना अलग की बाद में मुसलमानों की तरह उनके लिए मत सूची तथा नौकरी तथा विधान सभा में आरक्षण की व्यवस्था करके उन्हें राजनीतिक दृष्टि से हिन्दू समाज से अलग कर दिया.
आपरेशन ब्लूस्टार  जो 1984 में हुआ था के बाद सिखों में स्व इंद्रा गांधी के विरुद्ध आक्रोश पैदा हो गया अकालतख्त् को अपवित्र करने का आरोप भी इन्दिरागांधी पर लगा, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि इंद्र गांधी के एक अंग रक्षक जो कि सीख था उनकी हत्या कर दी. हत्या के बाद जगह-जगह दान्गे होने लगो कई निर्दोष सिख मारे गये. खालिस्तानी आन्‌दोलन के अलगाववादी नेताओं को मौका मिल गया और वे सिखो को  को भड़काने लगे, इस तरह सिख् हिन्दुओं से अलग होते गये.
आजादी के बाद अकाली नेताओं के दिमाग़ में यह प्रश्न बार उठता रहा कि मुसुलमानो को पाकिस्तान मिल गया, हिन्दुओं को हिन्दुस्तान सिखो की कुछ नहीं मिला इस तरह केशधारि सिख और हिन्दु‌ओं के बीच अलगाववाद का बीजारोपण हो गयाज बाद में यही अलगाववाद बहुत बड़ी समस्या बन गई जिसका पुष्परिणाम यह हुआ कि कई जगह हिन्दू और सिखो में दंगे होते गये पृथक खालिस्तान  की मांग आन्दोलन का रूप ग्रहण कर लिया भिण्डरवाला अकाली अलगाववाद की देन है.
एक जानकारी के अनुसार अकाली सिखो के सर्व प्रथम नेता मास्टर तारासिह व कुछ अकाली नेता देश की आजादी के कुछ माह बाद गृहमंत्री सरदार पतेल में मिल्ने आये और उन्होने सीखो के लिए अलग प्रदेश की मांग की. सरदार पटेल ने उन्हें तुरंत  उत्तर दिया कि सीखी को पंजाब का एक भाग वे दे सकते हैं" पर शर्त यह है कि हिन्दुस्तान के सभी सीखो को
उसी भाग में जाना होगा, और उन्हें देश के राजकाज और सेवा मे  , जन संख्या  के अनुपात से बहुत अधिक हिस्सा मिला हुआ है उसे समाप्त करना  होगा, यह सुनते ही अकाली नेता और मास्टर तरासिंह  की बोलती बंद हो गई पर  वे मन ही मन चाहते रहे कि पूर्वी पंजाब में सीखी  का प्रमुख स्थान हो
मुगल्-काल् में मुस्लिम् शासकों के अत्याचार बढ़ते  ही जा रहे थे, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ बनाया यह एक प्रकार की सैन्य दल था, शुरु गोबिंद सिंह के हिन्दु माताओ  से आग्रह किया कि सभी माताएं अपना एक एक पुत्र इस सैन्या दल के लिए दे. इस तरह हिन्दुओ की औलादें खालसा पंथ  में आये, केशधाअरि  हिन्दू समाज के अभिन्न अंग हैं. गुरु गोबिंद सिंह ने पंथ मे आये युवकों को पंच कक्क धारण कराया जिसके अन्तर्गत उन्हें केष, कंघा, कृपाण, कड़ा व कच्छा धारण करना अनिवार्य होता  था. यह आदेश उन्हीं शिष्यों  (सीखो) के लिए आवश्यक होता था जो खालसा पंथ या सैन्य दल  शामिल हो. सिख शब्द हिन्दी के शिष्य. शब्द का अपभ्रन्स है
 सभी सिख हिन्दू है।
सभी सिख गुरु हिन्दू होने का गर्व करते थे और कई बार उन्होंने हिन्दू समाज व हिन्दूधर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान  दिया।
गुरु गोविंदसिंह अक्सर कहा करते थे।
सकल जगत में खालसा पंथगाजे जगे हिन्दु धर्म शकल् भंड भाजे  
 खालसा पंथ में शामिल सभी केशधारि या कृपाणधारि सिख का हिन्दू धर्म अथवा सनातन धर्म से अटूट रिश्ता है?
अकाली अलगाववाद अंग्रेजों की फूट डालो शासन करो कि नीति की देन है।

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