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बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

दो कविताएं

 1 सुंदर सुनहरे धान 


कुछ जग रहे कुछ सो रहे 
सपनों में कुछ कुछ खो रहे 
खेतों में पकते जा रहे 
सुंदर सुनहरे धान ।

हर रात को शीतल हवा 
इनको सुलाती है ।
हर सुबह सूरज की किरण 
चेहरा धुलाती है ।
पंछियों का कलरव सुबह से
शाम सुनते हैं ।
धरती इन्हें पुचकारती ये 
मन में गुनते हैं।
सुनहरे खेत लगते हैं
बिखरता जा रहा सोना ।
धरा देती सदा ज्यादा
बिना जादू बिना टोना ।

सब ही खड़े हैं धूप में
सोने के जैसे रुप में
कुछ और सुंदर हो रहे 
अपने सभी अरमान ।

धरती सुनाती लोरिया 
सोते सभी चुपचाप ।
हर सुबह जगते रोज 
सूरज की सुने पदचाप  ।
दोपहर पेड़ों की छावो तक 
चले आते सभी  ।
शाम को खुशियों भरा 
गाना भला गाते सभी ।
पंछियों से तितलियों से
पेड़ों से करते हैं बातें ।
नाचते हैं धान करमा
चांदनी की मधुर रातें ।

आपस में बातें कर रहे 
खुद को खुशी से भर रहे 
सबकी ख़ुशी के लिए हैं
धरती के सब वरदान ।

2
गुनगुनी सी धूप में

डोलियां उठने लगी बरसात की 
सर्दियों के दिन सुनहरे आ रहे ।

गुनगुनी सी धूप में
सोना बिखरता जा रहा है 
सुआ पंखी रंग घर 
आंगन उतरता जा रहा है 
क्यारियों में फूल खिलते 
खूबसूरत मन को लुभाते 
रजनीगंधा रातरानी
झुमते खुश्बू लुटाते 
छतों पर छप्परों पर
पहुंची लताएं झुमती
हवा पेड़ों की मचलती 
फूनगियो को चुमती 
हर सुबह तितली फूलों के 
कान कहती मुस्कुराओ
शाम को कहता अंधेरा
द्वार पर दीपक जलाओ  


खेलते बच्चे भले लगते बहुत
खिलखिलाते चेहरे सबको भा रहे ।
डोलियां उठने लगी बरसात की 
सर्दियों के दिन सुनहरे आ रहे ।

पत्तियों की छन्नियो से 
रोज छनकर धूप आती 
रातरानी मोगरे के साथ
मिलकर गुनगुनाती 
रोज बरगद नीम पीपल 
धूप का आनंद लेते 
नदी की लहरों पे किरणें
बुलबुलों की नाव खेते 
हर सुबह से शाम पीली 
धूप का ही राज रहता 
पंछियों की बोलियों का 
हर सुबह आगाज रहता 
शाम सिंदूरी हवाओं को 
मधुर शीतल बनाती 
रात बुनती चादरें
खामोशियों में गुनगुनाती 

नम हवाएं खोले यादों के दरीचे 
पल बहुत खामोशियों के छा रहे 
डोलियां उठने लगी बरसात की
सर्दियों के दिन सुनहरे आ रहे ।

मुकेश तिरपुडे
( शिक्षक ) मो नंबर 9340802132
केयर आफ श्री बुधराम वर्मा जी
प्रकाश कुंज सुभाष नगर कसारीडीह
तलवार भवन की बाजू गली
दुर्ग छत्तीसगढ़
पिन कोड 491001


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