नज़र को ये कभी लगता नहीं है।
ज़मीं से आसमाँ मिलता नहीं है।
जहाँ जाना, वहाँ से लौट आना,
कभी ये रास्ता रुकता नहीं है।
खड़े हो आईने के सामने पर,
छुपा चहरा कभी दिखता नहीं है।
परों का बोझ है जिस पर ज़ियादा,
वो पंछी दूर तक उड़ता नहीं है।
चला है साथ जो लेकर इरादे,
मुसाफ़िर वो कभी थकता नहीं है।
सियासत कर रहे हो साथ सबके,
मुझे ये क़ायदा जँचता नहीं है।
2
वास्ते जब सभी के हुए।
आप बस आप ही के हुए।
आपकी इक कही बात पर,
फ़ैसले ज़िंदगी के हुए ।
आ गए कुछ सितारे नज़र,
सिलसिले रोशनी के हुए।
मिन्नतें, ज़िद, सलीक़े ,वफ़ा,
क़ायदे बन्दगी के हुए।
जब चले साथ हम दूर तक,
फ़ायदे दोस्ती के हुए।
काम वो ही लगे काम के,
जो हमारी ख़ुशी के हुए।
3
जिसे देखा कहीं , वो दूसरा है ।
नज़र को आपकी धोखा हुआ है।
नज़ारा पास इतना भी नहीं है,
कि जितना पास सबका सोचना है।
हिमायत कर रहे हैं आप उसकी,
यहाँ जो शख़्श सबसे दोगला है।
सुने सबकी मगर करे मन की,
यही इस ज़िंदगी का क़ायदा है।
वहाँ मुश्क़िल सफ़र है कश्तियों का,
जहाँ उनका हवा से सामना है।
निभाता है वहाँ उतनी अक़ीदत,
जहाँ जितनी शराफ़त देखता है।
4
चलो इसमें पते की बात तो है।
सफ़र में इक सहारा साथ तो है।
ज़ुबाँ ये पूछती है इन लबों से,
भला दिल में कहीं ईमान तो है।
तबीयत है बड़ी नासाज़ लेक़िन,
चलो इसमें ज़रा आराम तो है।
हमारा है, हमेशा , ये जताकर,
कि हमसे शख़्श वो नाराज़ तो है।
बनाता है सभी जो काम अपने,
किसी का सिर पे अपने हाथ तो है।
कही वैसी, रही है सोच जैसी,
हमारी शायरी बेबाक़ तो है।
5
ज़ख्म जितने छुपाने पड़े।
सौ बहाने बनाने पड़े।
आँसुओं पर नज़र जब गई,
हैं ख़ुशी के जताने पड़े।
जो तरफ़दार कहकर मिले,
नाज़ उनके उठाने पड़े।
जो ख़ुशी ने दिए फ़ायदे,
सब हवा में उड़ाने पड़े।
आज़माएँ किसे,कब,कहाँ,
वो तरीक़े जुटाने पड़े।
रोज़ पाले शिक़ायत,गिले,
आज दिल से हटाने पड़े।
अमझेरा धार मप्र
पिन 454441
मो 9893119724
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