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गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं

याद आने लगती हो...

कुछ लिखने का मन करता है
कलम और डायरी उठाता हूँ
शब्दों को कोरे कागज पर उतारने की
कोशिश करता हूँ
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो...

चाहता हूँ समाज और राष्ट्र के समसामयिक
परिदृश्यों पर कुछ लिखना
पर प्रेम कविताएं आकार लेने लगती हैं शब्दों से
दिल दिमाग पर हावी हो जाता है
दिल की किताब के हर पृष्ठ पर
तुम नजर आती हो
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो...

मस्तिष्क को केंद्रित करना चाहता हूँ
सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध लिखना चाहता हूँ
शोषण और अत्याचार से पीड़ित
दुखित व्यथित लोगों की आवाज बनना चाहता हूँ
शब्दों से नई बात लिखना चाहता हूँ
अचानक शब्दों में तुम्हारा चेहरा नजर आता है
तुम्हारे साथ बीते हुए पल याद आने लगते हैं
शब्द तुम्हारे प्रेम की खुशबू से सरोबार हो जाते हैं
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो...

तुम्हारे प्यार की आंच
तुम्हारे हथेलियों की गर्माहट
तुम्हारे साथ बिताए वो खुशनुमा पल
और अब तुम्हारी प्रतीक्षा
सृजन के शब्द अब तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमते हैं
वो कौन सा पवित्र दिवस होगा
जब तुम आओगी
मेरे जीवन में खुशनुमा सुबह होगी
सच में तुम बहुत याद आने लगती हो...
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           मौलिक एवं अप्रकाशित
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मेरे जीवन में तुम्हारे आने से...

तुम्हारा मेरे जीवन में आना...
सच में महसूस होता है 
भीषण गर्मी में भी जैसे 
हो गया हो जैसे मौसम सुहाना
लगता है जीवन में कितनी 
खुशियाँ आई हैं, बहारें छाई हैं
फूलों की महक मेरे तन मन के 
रोम रोम से टकराई हैं...

तुम्हारा मेरे जीवन में आना...
महज एक संयोग नहीं है
शायद सृष्टि का अनुपम व 
वैशिष्ट्य उपहार मिल गया हो
तुम्हारा मेरे जीवन में आना 
चाँद तारों का जैसे हो झिलमिलाना
जैसे फूलों का हो मुस्कराना
चिड़ियों का चहचहाना
अल सुबह सूरज का मुस्कराना...

तुम्हारा मेरे जीवन में आना...
खुशनुमा हो गई है मेरी जिंदगी 
सच में तुम्हारे साथ ने 
मेरे जीवन को बदल दिया है
जीवन के सौंदर्य को तुमने 
नए रूप में परिभाषित किया है
मेरे सृजन संसार को
तुमने बहुआयामी किया है...

तुम्हारा मेरे जीवन में आना...
सच! में मैं कितना भाग्यशाली हूँ
सोचता हूँ, तुम न होती, तो शायद! 
जीवन कितना टुकड़ों में बिखरा होता
जीवन का अर्थ समझ में न आता
जीवन के पूर्णता का एहसास न होता
मेरे सृजन में वो विविधताएँ न होती
हमारे जीवन में गुलाब के फूलों 
जैसी खुशबू न होती
बस! निराशा ही दिखती...
★★★★★★★★★★
मौलिक एवं अप्रकाशित
★★★★★★★★★★

काश! वो ख्वाब सच होते...

शरद ऋतु की ऐसी ही ठंडक
पड़ रही थी शीतलहर
कोहरे की चादर सुबह-शाम-दोपहर
रजाई से निकलने का मन नहीं करता था
सड़कों पर भी सन्नाटा पसरा रहता था
तुमसे मिलने और तुम्हें देखने की चाहत में
तन-मन में जगा देता था ऊष्मा का एहसास 
अपने प्यार पर हमें कितना था विश्वास...

तुम भी कितने बहाने बना कर
मुझसे मिलने चली आती थी
कॉफी हाउस में कॉफी की चुस्कियों के बीच
हम भविष्य की, अपने सुखद संसार की
न जाने कितनी अप्रितम योजनाएँ बनाते थे
बिगाड़ते थे और फिर सुधारते थे
फिर वो योजना पक्की करके
तुम्हारे द्वारा मुझे मेरे जन्मदिन पर 
दी गई डायरी में लिख देते थे 
टप-टप गिरते हुए कोहरे की बूंदे दोपहर से
शाम का एहसास करा देती थी
फिर हम कल मिलने का वादा कर
बमुश्किल घर को निकलते थे
रातों में जग कर अनगिनत ख्वाब बुनते थे
हमारे दिलों में प्यार के कितने पुष्प खिलते थे
ऐसी दो डायरी योजनाओं से भरी हुई हैं...

ऐसी एक डायरी इस सर्द मौसम में 
आलमारी के दराज के कोने से निकालकर
एक-एक पन्नों को पलट रहा हूँ
आँखों से आँसू निकल कर 
उन सुनहले शब्दों को भिगो रहे हैं
उन पुरानी स्मृतियों को चलचित्र की तरह
चलते हुए देख रहा हूँ
काश! वो देखे गए प्यार के ख्वाब 
हमारे जीवन में सच होते
हम एक-दूजे के प्यार में जी रहे होते...
★★★★★★★★★★★★★
       मौलिक एवं अप्रकाशित
★★★★★★★★★★★★★

             हुनर...

किसी से मुस्कराते हुए, प्यार से
अपने दिल की बात कह दो
दूसरे के दिल की बात यदि समझ लो
यदि यह हुनर आपके पास है
तो रिश्तों में कभी दूरियां नहीं होंगी
अपने लोगों की दुआएं साथ होंगी

अपने क्या पराए भी साथ खड़े होंगे
जीवन में कभी मुश्किलों का सामना होगा
अपने लोग दीवार बनके साथ निभाएंगे 
मुश्किलें दूर चली जाएंगी 
हर कदम पर खुशियाँ ही नजर आएंगी 
बस! दूसरों की बात समझने में
हमें रहना होगा ईमानदार 
छल-कपट का हमें न करना है व्यवहार

हमारा हर संकल्प, विचार और कर्म
सदैव कल्याणकारी हो 
हमारी सोच सकारात्मक हो
कभी दूसरों के बारे में हमारे मन मस्तिष्क में 
अहित का न आए नकारात्मक विचार 
हमारे जीवन में खुशियों की होगी बहार 
सुखी रहेगा हमारा संसार
और दूजे को हमारा सदा रहेगा इंतजार
हमें देखते ही उसे होगा हर्ष
जीवन के विभिन्न पहलुओं पर
हमसे करना चाहेगा विमर्श
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  मौलिक एवं अप्रकाशित
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सादर
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
ग्राम-कैतहा, पोस्ट-भवानीपुर
जिला-बस्ती 272124 (उ. प्र.)
मोबाइल

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