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शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

षड़यंत्र

वाढेकर रामेश्वर महादेव
 
       "आशा, मुझे बच्चों को बहुत पढ़ाना हैं, क्योंकि उनकी हालत अपने जैसी कभी न  हो।" विजय ने पत्नी से कहा।
       "क्या खाक पढ़ाओ गे। हर वर्ष किसी न किसी गाॅंव, राज्य में गन्ना काटने जाना पड़ता है। बच्चें  कैसे पढ़ेंगे ? आप  ही बताइए।"आशा ने विजय से गुस्से में कहा।
       "अब हम गन्ना काटने कभी नहीं जाएंगे।"
       "फिर,क्या करेंगे? खुद का खेत भी नहीं है। रहने के लिए जगह  भी नहीं ! व्यवसाय करना, तो बहुत दूर की बात।"
       "मैं  दूसरो  के  खेत में काम करूंगा। तू भी कुछ ना कुछ काम कर।"
       "हां। वह  तो  करना  पड़ेगा, बच्चों  के  भविष्य  के लिए।"
       दोन्हों  का प्राथमिक  स्कूल  में नाम दर्ज किया। अजय  तीसरी कक्षा में था। आनंदी छठी  कक्षा में। वे अच्छी  तरह पढ़ रहे थे। स्कूल में  सुविधा न  के  बराबर। पुरे  स्कूल  में  एक  ही शिक्षक। ट्यूशन भी नहीं  थी। इतना न होने  के  बावजूद आनंदी स्कूल में हुशार  थी। हर कोई कहता था, आनंदी माॅं,बाप का नाम रोशन करेगी।
       एक दिन शिक्षक ने छात्रों से कहा-"बच्चों, हमारी स्कूल कायम की बंद होनी की  संभावना  है, क्योंकि हमारे स्कूल  में कुल  मिलाकर  बीस छात्र नहीं है । यह  बात  सुनकर छोटे  बच्चें रोने लगे और बड़े बच्चें निराश हुए।"
आनंदी  घर  आई । शांत  बैठ  गई।  उसे  दुखी देखकर  विजय  ने  पूछा - "बेटा, आनंदी   क्या हुआ?  स्कूल  में  किसी  से   झगड़ा  हुआ   या शिक्षक ने डाटा।"
       आनंदी रोते-रोते कहने लगी-" बाबा, मैं आप का सपना कभी पूरा नहीं कर सकूंगी।"
       "बेटा, क्या हुआ?"
       "स्कूल  बंद होने वाली है।"
       "क्यों?"
       "संख्या कम होने के कारण।"
       "मतलब, मैं नहीं समझा।"
       "जिस स्कूल में कम से कम बीस छात्र नहीं है,वह स्कूल बंद होने वाले है।"
       "आनंदी, तू  रो मत। तेरी पढ़ाई मैं जारी रखूंगा।
        इतना कहकर घर के बाहर आकर बैठे।"
        घर के नजदीक समाज मंदिर था।वहां कई स्री, पुरुष  इकट्ठा  हुए  दिखाई  दे रहे  थे। प्राथमिक स्कूल  बंद  के   संदर्भ    में   चर्चा   हो  रही  थी । उनमें  ज्यादा  पढ़ा-  लिखा  कोई   नहीं   था।  ज्यादातर   अनपढ़   थे।  उनकी  बातें   सुनकर  विजय  वहां  गया  और  कहने  लगा- "सरकारी प्राथमिक  स्कूल  बंद  नहीं  होने   चाहिए ।  वह  बंद  हुए  तो हमारे बच्चें पढ़ ही नहीं सकते।"
        इकट्ठा हुए व्यक्ति में से एक व्यक्ति ने कहा- "प्राथमिक  स्कूल  बंद न हो, इसलिए हमें क्या करना होगा विजय?"
      "फुले, शाहू,आंबेडकर के विचारधारा  पर चलने वाले व्यक्तियों से विचार मंथन।" इकट्ठा हुए व्यक्ति में से एक स्त्री ने कहा-"ऐसी है कोई व्यक्ति आप के नज़र में।"
        "हां...। 'सावित्री'  नाम  है  उनका । बहुत  पढ़ी- लिखी है। संविधान  की  अभ्यासक भी। समाज प्रबोधन  करती  है। किसी  राजनीतिक  पक्ष  से संबंधित नहीं है। वह  हम जैसे गरीब समाज को जरूर मदत करेगी।"
       "उनसे कब मिलना है?" भीड़ में से एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा।
"उन्हें कल ही हमारे बस्ती पर बुलाते हैं।"
     सुबह-सुबह बस्ती में गाड़ी आई। गाड़ी को देखने कई बच्चें गए। उनमें बड़े व्यक्ति भी  कुछ थे। गाड़ी रूकी। अंदर से सावित्री  मॅडम उतरी।समाज मंदिर में  सीधा गई। वहां  धीरे-धीरे  स्री, पुरुष, बच्चें, बुजुर्ग आदि  आने लगे । उन लोगों की, उनके बच्चों  की  अवस्था  देखकर सावित्री दुखी हुई। प्राथमिक  स्कूल  बंद  हुए  तो  बच्चों के भविष्य का क्या होगा? इन सोच  में सावित्री डूब गई। इतने में विजय ने कहा-"मॅडम,हम सब गरीब हैं। हमने  एक  दिन  काम नहीं  किया, तो  हमें भूखा रहना पड़ता हैं। प्राइवेट इंग्लिश स्कूल की वार्षिक फीस ग्रामीण  भाग  में  कम से कम पचास  हजार  है। इतना  पैसा  कहां  से  लाए। बच्चों को प्राइवेट इंग्लिश स्कूल में कैसे पढ़ाए।"
        "सब  ठीक हो जाएगा,हार मत मानो। संघर्ष जारी  रखो । तुम्हें  कोई  मदत  नहीं  करेंगा , न सत्ताधारी,न विपक्ष वाले। उन्हें  उनका पद, पक्ष प्यारा है।आप नहीं। आपके  जानकारी  के लिए बता रही हूॅं , महाराष्ट्र के तकरीबन  पंद्रह  हजार प्राथमिक स्कूल बंद  होने  की संभावना  है। तब भी  कोई  रास्ते  पर आने  के  लिए  तयार  नहीं है।यह शर्म की बात है।"
        "मॅडम, सरकार प्राथमिक स्कूल बंद क्यों करना चाहती है?" विजय ने पूछा।
        "उनका षड़यंत्र आप को समझ नहीं आएगा। उन्हें  वंचित  घटक  को प्रवाह में नहीं आने देना है।  वे  संख्या   का  बहाना   बताकर  प्राथमिक स्कूल  बंद  करना  चाहते   हैं।  जिस  प्राथमिक स्कूल  में  संख्या कम  है,  इसका  कारण  क्यों नहीं   ढूंढ  रहे?  शिक्षा   कानून  में  बताया   है, पहली  कक्षा  से  लेकर  पाॅंचवीं  कक्षा  तक के बच्चों   को  स्कूल  एक   किलोमीटर  के  अंतर  पर  हो, तथा छठीं कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक  के  छात्र  को  स्कूल  तीन  किलोमीटर  के अंतर पर हो। यह  नियम होकर  भी  स्कूल  बंद करना, यानी गरीब पर अन्याय है अन्याय। साथ ही जो प्राथमिक स्कूल बंद होंगे, वहां के शिक्षक भी बेरोजगार होंगे।"
       "सरकार इंग्लिश प्राइवेट स्कूल पर पाबंदी क्यों नहीं लगाती?" भीड़ से एक स्त्री ने पूछा।
      "इंग्लिश स्कूल ज्यादातर राजनेता या कार्यकर्ता के होते है। वे चूनाव  के समय पक्ष को पैसा देते है। हर  साल  जितना  तय  हुआ उतना प्रतिशत पैसा  सरकार  को  देते  है,वह भी गुप्त रूप में। सरकार  पर  उनका  बोझ  नहीं   होता।  शायद इसलिए  सरकार इंग्लिश स्कूल बंद नहीं करते।जिस   महाराष्ट्र  में   राजर्षि   शाहू   महाराज  ने तत्कालीन  समय  प्राथमिक   शिक्षा  सक्ति  एवं मुफ्त  की। उसी महाराष्ट्र में प्राथमिक स्कूल बंद करने की  कोशिश की जा रही है, यह  निंदनीय है।"
        "मॅडम,यह लड़ाई हम जीतेंगे क्या?" विजय ने पूछा।
         "जरूर जीतेंगे। किंतु आपका संघटन निरंतर रहे। आप को कोई  हारा नहीं सकता। कानूनन और आर्थिक मदत की  जरूरत  पड़ी तो  कभी भी  मेरे  पास  आना। मैं  आप   में  से  एक  हूॅं। षड़यंत्र  के  विरोध  में  सिर्फ  आप को  या मुझे नहीं लड़ना है। महाराष्ट्र के सब वंचित घटक को साथ लेकर लढ़ना है। अब  मैं  चलती  हूॅं। दूसरे गाॅंव में जाना है, व्याख्यान देने।"
         सब अपने-अपने घर गए। मॅडम के विचार पर विजय  ने  रात  भर  चिंतन  किया।  आगे  क्या करना  होगा?  इसी  सोच  में डूबा  रहा। सुबह-  सुबह  पेपर  वाला  आया  और  जोर- जोर   से कहने लगा- "आज  की ताजा  खबर!आज  की ताजा   खबर ! सावित्री   मॅडम   के  विचार   से प्रभावित होकर कई संघटना ने प्राथमिक  स्कूल बंद  के  विरोध  में  अंदोलन  निकालने का  तय किया।"
      सब लोग खुश हुए। अंदोलन में शामिल होने  लगे। सरकार  के  विरुद्ध  नारे  देने  लगे। गरीब लोग  काम  छोड़कर बच्चें  के भविष्य  के  लिए  हर सरकारी शैक्षिक ऑफिस में निवेदन पत्र देने   लगे।  हर  अंदोलन   में  विजय   जोर - जोर  से  कहता रहा -"जब तक सरकार प्राथमिक  स्कूल बंद नहीं  किए जाएंगे, यह   मीडिया  के  सामने महाराष्ट्र को नहीं बताते,तब तक हमारे अंदोलन जारी रहेंगे....।"




संक्षिप्त परिचय

इमेल: rvadhekar@gmail.com


पता:  हिंदी  विभाग, 
डाॅ.बाबासाहेब  आंबेडकर मराठवाडा  विश्वविद्यालय,
औरंगाबाद- महाराष्ट्र- 431004
लेखन:'चरित्रहीन' 'दलाल', 'सी.एच.बी.इंटरव्यू', 'लड़का ही क्यों?', 'अकेलापन' आदि कहानियाॅं  पत्रिका में  प्रकाशित।
भाषा ,  विवरण ,  शोध  दिशा , अक्षरवार्ता,   गगनांचल,युवा  हिन्दुस्तानी ज़बान,साहित्य यात्रा,विचार वीथी आदि पत्रिकाओं में लेख  तथा संगोष्ठियों में प्रपत्र प्रस्तुति।
संप्रति: शोध कार्य में अध्ययनरत।
चलभाष: 9022561824

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