सरल कुमार वर्मा
बेपनाह मोहब्बत से नजर अल्साई कली को छूती है
कुदरत ने तो किया था जहां सब के लिए रोशन
गुनाह उनने किया जिन्होंने मिलकर रोशनी लूटी है
चाहा जिन्होंने दौलत से इस दुनिया को संवारना
अपने सिर रख ताज कहा सब की किस्मत फूटी है
किसी के हक में न थी कोई वसीयत दुनिया की
"सरल" कहीं मेहरबां है चांदनी चांद की किसी की छत टूटी है
उन्नाव,वर्मा
9695164945
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