सद्कर्मों से बनती पहचान...
सद्कर्मों एवं सदविचार से, जीवन पथ होता आसान,
कलुषित भावना रखने से, हमारा होता है नुकसान।
सदमार्ग पर चलते रहने से, मिल जाती हमें मंजिल,
सदविचार व सद्कर्म से इंसान बन सकता महान।।
ईर्ष्या-द्वेष रखने से, प्रगति के पथ हो जाते अवरुद्ध,
हीन भावना रखने से, अपने सगे हो जाते हैं विरुद्ध।
हमें सदैव रखना चाहिए, सकारात्मकता का भाव,
सकारात्मक विचार से, हम रहते तन मन से शुद्ध।।
धन-दौलत के लालच में, हम करने लगते भ्रष्टाचार,
पद-प्रतिष्ठा के मोह में, हम खो देते अपने संस्कार।
भौतिक सुख-सुविधाओ के नाते, मति मारी जाती,
जरा-जरा सी बात पर, अपनों से करते हैं तकरार।।
हमारे सद्कार्यों से ही, हमारी बनती है इक पहचान।
मदद और सहयोग से, हम बन सकते हैं नेक इंसान।
व्यक्ति के अच्छे कार्य ही, लोगों को सदा याद रहते,
न कभी भुलाना चाहिए, किसी ने किया एहसान।।
अगर भला न कर सकें, तो कभी किसी बुरा न चाहें,
किसी पर न करें दोषारोपण, बना लें खुद नई राहें।
यदि कभी किसी ने किया, आपके साथ कोई भलाई,
छोटा भी यदि हो तो स्वागत करें, फैला अपनी बाहें।।
हमारे गाँव कभी आओ !
हमारे गाँव कभी आओ !, तुम्हें खेत दिखलाऊँ,
लहलहाती हरी-भरी, कई फसलों से मिलवाऊँ।
शहर की भीड़ भरी सड़कों पर, चलते हो रोज,
खेतों की पतली मेड़ों पर, चलो! तुम्हें चलवाऊँ।।
सरसों के पीले फूल तुम्हें, खूब मनभावन लगेंगे,
चारों ओर हरियाली, तुम्हारे मन में ताजगी भरेंगे।
घर के बाहर बैठोगे, धीरे-धीरे हवा चलती रहेगी,
गाँव में खाने को दूध दही, तुम्हें हर घर में मिलेंगे।।
हर कोई काका दादा व राम राम कहता मिलेगा,
किसी से कुछ कह दोगे, वो तुम्हारी बात सुनेगा।
शाम को चौपाल में, एक दूजे का दुःख दर्द कहेंगे,
पूरा गाँव तुम्हें, इक परिवार की तरह ही दिखेगा।।
किसी को पड़ जाएगी परेशानी, लोग खड़े रहेंगे,
हमारे गाँव में दूजे के लिए, कष्ट भी सहन करेंगे।
चालाकी का दूर तलक, न मिलेगा नामो-निशान,
आपदा हो या खुशी, लोग मिलजुल कर रहेंगे।।
किसी के घर आए मेहमान, सबसे होती पहचान,
धन-दौलत के लिए, यहाँ लोग न छोड़ते ईमान।
बड़े घर न शहरों की तरह, पर दिल के होते बड़े,
खुश रहते हमारे गाँव के, मजदूर और किसान।।
अवरोधों से हमें न डरना है...
अवरोध मिलेंगे राहों में, पर हमें न उनसे डरना है,
सूझ-बूझ कर हिम्मत से, हम को आगे बढ़ना है।
यदि हम हिम्मत हार गए, तो कभी न होगी जीत,
वो वार करें हम पर, पत्थर-सा टिक कर रहना है।।
कोई हो बहुत बलशाली, अन्नाय हमें नहीं सहना है,
तन से न हो सके, शब्दों से हमें प्रतिरोध करना है।
जो कलम में होती शक्ति, तलवार में कभी न होती,
खत्म हो चुकी तानाशाही, हमें नहीं अब झुकना है।।
हम जुगनू नहीं प्रकाश पुंज हैं, अंधेरों से लड़ना है,
ताल के नीर जैसे न रुकूँ, सागर सा हमें बहना है।
हम गिर कर सौ बार उठेंगे, फिर भी हार न मानेंगे,
लहरों से भी भिड़ कर, किनारों पर हमें पहुँचना है।।
हमें बनावटीपन पसंद नहीं, जैसे हूँ, वैसे दिखना है,
झूठ का हीरा नहीं स्वीकार, सत्य पर हमें चलना है।
आत्मसम्मान की सूखी रोटी भी, हमें व्यंजन लगे,
संघर्षों में तप कर ही, ये जीवन हमारा महकना है।।
मानवता की राह पर, हमें सदैव ही चलते रहना है,
दूजों की उपदेश के पहले, हमें उस पर निखरना है।
महापुरुष जो कहते, पहले खुद करके दिखलाते थे,
अच्छा करने की जिद से, हमारा जीवन महकना है।।
पल-पल संघर्षों से, हमें न घबड़ाना है...
जीवन में पल-पल संघर्षों से, हमें न घबड़ाना है,
हिम्मत रख कर जीवन रण में, लड़ते जाना है।
हो सकता जीत नहीं, हार मिले, हिम्मत न हारें,
चूक हुई कहाँ, उससे सीख आगे बढ़ जाना है।।
करते-करते संघर्ष, हमें विजय पथ मिलेगा,
काँटों के जीवन में, कभी तो फूल खिलेगा।
उम्मीदों का पंख लगाकर, जो उड़ते रहते हैं,
आशा है, मरुस्थल में कभी तो जल बरसेगा।।
संघर्षों में कभी हम, सच का दामन न छोड़ें,
जो शपथ लिया सत्पथ का, उसको न तोड़ें।
माना झूठ के पैराकार, जल्द होते हैं सफल,
दुःखों के पहाड़ में भी, सिद्धांतों को न छोड़ें।।
जीवन के संघर्ष में कभी, आती है काली रातें,
जब हम असफल होते हैं, लोग करते हैं बातें।
उन निराशादायी बातों पर, कदापि ध्यान न दें,
लक्ष्य पर डटे रहें, मिले खुशियों की सौगातें।।
जब मुश्किलें आती, लोग देते न हमारा साथ,
संघर्षों में कभी सुखद परिणाम आते न हाथ।
हमें पूरी निष्ठा व शक्ति से करना होगा संघर्ष,
इक दिन विजय का ताज, होगा हमारे माथ।।
हमें सद्प्रयास करना होगा...
इत्र से महके बदन, तो वह समझ लो बेकार है,
सदचरित्र से जीए जीवन से, महकता संसार है।
इत्र की खुशबू, बस! कुछ घड़ी में खत्म हो जाती,
सद्कर्मों से बदल सकता, समाज व परिवार है।।
परिवार और समाज बदलने से, होती है प्रगति,
हमारे विचारों में परिवर्तन की, आती खूब गति।
अच्छे विचारों से महकने लगता, हमारा जीवन,
हम सद्प्रयास करते रहें, आगे जैसी हो नियति।।
हमारे सद्प्रयासों को, भाग्य भी देता है संबल,
जीवन में असंभव कार्य भी, हो सकते हैं हल।
सद्प्रयासों में प्रायः मुश्किलों से, होता सामना,
हाथ की रेखाएँ भी बदल जाती, जो हैं अटल।।
जीवन में कभी कभी सद्प्रयास, नहीं होते सफल,
हम अपने को कभी न अकेला माने, न ही निर्बल।
अकेले गाँधी जी ने, आजादी के लिए बढ़ाए पाँव,
फिर पूरा देश उनके साथ, कदम मिला दिया चल।।
हम अपने जीवन में सद्प्रयास को, कभी न छोड़ें,
जो जीने के तय किए सिद्धांत, उसे कभी न तोड़ें।
कभी सफलता, कभी विफलताओं का होगा दौर,
विजय मिले, उन कोशिशों को अपनी ओर मोड़ें।।
ग्राम-कैतहा, पोस्ट-भवानीपुर
जिला-बस्ती 272114 (उ. प्र.)
मोबाईल 7355309428
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