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मंगलवार, 2 मार्च 2021

पढ़ती पथ पर


मधुकर वनमाली

बस अधिकारों की बात नहीं

पहचान मेरे यह होने की
पढ़ती पथ पर मै जाती हूं
अरमान मुझे नभ छूने की।

जो बैठी सड़क किनारे हूं
रस्ते का होता भान मुझे
कल सरपट दौड़ लगानी है
अभी ले लेने दो ज्ञान मुझे।

कुछ काम करुँ, मजबूरी जो
श्रम सीकर से पथ गीला है
पढ लिख थोड़ा कुछ बन लूं तो
आगे सब कुछ चमकीला है।

तुम जोर लगा कर देखो तो
नही उलझा सकते ध्यान मेरा
मै गुरुवर की प्यारी शिष्या
वो भी करते हैं मान मेरा।

मधुकर वनमाली
मुजफ्फरपुर बिहार

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