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सोमवार, 30 मार्च 2020

तुम चरण की रेख अपनी आज मुड़ कर देख लो

  
                   रश्मि मिश्रा
 
तुम चरण की रेख अपनी आज मुड़ कर देख लो
जो धरा पर हो रहा है आज झुक कर देख लो।।
चांद पर अपने कदम रख कर बड़े मगरूर थे
आज अपने ही कदम को लड़खड़ाते देख लो।।
अस्त्र-शस्त्रों का जखीरा जो इकट्ठा कर लिया
इस लघुत्तम सी इकाई को हराकर देख लो।।
साधना जिन साधनों की तुमने की थी उम्र भर
आज मूर्छित से पड़े सब खोल कर दृग देख लो।।
तेरे जयघोषों से गूंजे थे जमीं और आसमां
हैं, प्रकृति के सामने कितने ये बौने देख लो।।
ये जमीं तेरी है या ये आसमां तेरा बता????
मौत का सामान तूने जो रचा, अंजाम उसका देख लो।।
"""उसकी सत्ता को कभी न आजमाना ऐ मनुज
एक पल में ही पलट जाती है बाजी देख लो।।

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