लखनऊ : लखनऊ में सोमवार (दिसंबर 30, 2019) को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में विख्यात कवि एवं आलोचक श्री वीरेंद्र आस्तिक (कानपुर) को 'साहित्य भूषण सम्मान' (दो लाख रुपये) से अलंकृत किया गया। आस्तिक जी को यह सम्मान माननीय विधानसभा अध्यक्ष डॉ हृदय नारायण दीक्षित के कर-कमलों से प्रदान किया गया।
'धार पर हम- एक और दो' के प्रकाशन से जबरदस्त ख्याति पाने वाले आस्तिक जी कहते हैं कि उन्होंने 1964 में एयरफोर्स ज्वाइन किया। इसके बाद 1970 से उन्होंने लेखन का कार्य शुरू किया। 1974 में एयरफोर्स छोड़ने के बाद 1975 से टेलीफोन विभाग में कार्य किया और 2007 में बीएसएनएल से सेवानिवृत्त हुए। वह मुख्य रूप से कानपुर देहात की अकबरपुर तहसील के रहने वाले हैं। 'परछाईं के पांव', 'आनंद! तेरी हार है', 'तारीखों के हस्ताक्षर', 'आकाश तो जीने नहीं देता', 'दिन क्या बुरे थे', 'गीत अपने ही सुनें' आदि काव्य-कृतियों ने उन्हें नई ऊंचाई पर पहुंचाया। हाल ही में उनकी आलोचना पुस्तक - 'नवगीत : समीक्षा के नए आयाम' के जरिए उन्होंने नवगीत क्या है, इसे समझने-समझाने का प्रयास किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त , डॉ. भगवान सिंह, डॉ. मनमोहन सहगल, जलशक्ति मंत्री श्री महेंद्र सिंह, डॉ. अरिबम ब्रजकुमार शर्मा, डॉ. उषा किरण खान , डॉ. कमल कुमार, डॉ. ओम प्रकाश पांडेय, आचार्य श्री श्यामसुन्दर दुबे, आचार्य श्री रामदेव लाल विभोर, डॉ रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर' आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
Abnish Singh Chauhan, M.Phil & Ph.DProfessor & PrincipalBIU College of Humanities & JournalismBareilly International UniversityBareilly-243006 (U.P.) India
Editor : Creation and Criticism(www.creationandcriticism.com)
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