डा.मृदुल शर्मा
1
स्वर्ण लंका अभय,
फुकती ही नहीं है, क्या करें?
अनय के हथियार से
वे लैस रहते।
जोखिमोंके,
जुर्म के आघात सहते।
बेबसी की कथा,
चुकती ही नही है, क्या करें?
दशानन की चाह
गर्दन को झुकायें।
मौन साधें,
याकि सच से बाज आयें।
विवशता है,
जुबां रुकती ही नही है, क्या करें?
कामना तो मुक्ति की है
गुर्बतों से,
हैं बहुत लाचार लेकिन
आदतों से।
कोर्निश को
कमर झुकती ही नहीं है, क्या करें?
2
अपनी चिन्ता किये बिना जो,
गाये जग की पीर।
अक्खड़ भी हो, फक्कड़ भी हो,
होता वही कबीर।।
जान डाल अपनी जोखिम मे भी,
जो सच कहता।
स्वार्थ-सिद्धि के लिए,
हवा के संग नही बहता।
जाति-धर्म की बाँध नही पाती,
जिसको जंजीर।।1।।
चोट करे पूरी ताकत से,
जो आडम्बर पर।
ढोंग और पाखंड, झूठ से,
लोहा ले डट कर।
वचन और कर्मों से खींचे,
जग मे बड़ी लकीर।।2।।
अक्खड़ भी हो, फक्कड़ भी हो,
होता वही कबीर।।
मृदुल मर्मा,
परिचय
नाम ःः डा. गोपाल कृष्ण शर्मा "मृदुल"
कवि नाम ःः डा. मृदुल शर्मा
जन्मः 01 मई 1952
जन्म स्थानः ग्राम व पत्रालय ःः गुनारा, जि. शाहजहाँपुर, उ.प्र.
शिक्षाः एम.ए.(हिन्दी)पीएच.डी.
व्यवसायः भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी पद से सेवा निवृत्त होकर स्वतन्त्र लेखन।
प्रकाशित कृतियां ःः 9 काव्य संग्रह, चार कहानी संग्रह, दो उपन्यास एक निबन्ध संग्रह सहित कुल बीस कृतियां प्रकाशित। चौदह सम्वेत संकलनो मे रचनायें संकलित, एक सौ छः पत्र पत्रिकाओं मे लगभग चार सौ पचास रचनायें प्रकाशित।
विशेषः 1.दो कृतियां उ.प्र.हिन्दी संस्थान से तथा तीन अन्य कृतियां अन्य संस्थाओं से पुरस्कृत।
2. लखनऊ विश्वविद्यालय मे व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध।
3. देश की 18 साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित
सम्प्रतिः संपादक, चेतना स्रोत (काव्य त्रैमासिकी)
संपर्क ःः 569क/108/2,स्नेह नगर, आलमवाग, लखनऊ- 226005 (उ.प्र.)
मो. 9956846197/8318674188
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